30 मई, 2015
स्मृति
मीठे बच्चे, बाप
सबसे प्यारा है। तम्हें उनसे वर्सा मिलता है। बाप
स्वर्ग रचते हैं। इसलिए तुम्हारी बुद्धी बाप की ओर
जानी चाहिऐ। उस माशूक को बहुत अधिक याद करना है।
बाप, माशूक तुम आत्माओं को कहते हैं: मुझे याद करो
! यह पार्ट भी अब चल रहा है फिर 5 हज़ार वर्ष बाद
चलेगा।
मीठे बाबा, आप मेरे
सबसे प्यारे बाबा हो। जितना अधिक मैं आपको याद करता
हूँ उतना अधिक मुझे खुशी मिलती है। यह स्वर्ग के
वर्से से भी अधिक खुशी की बात है। माशूक के नाते
से आपके उपहार अनंत काल तक चलते हैं। हर चक्र में
मुझे आपका आशिक बनने का भाग्य मिलता है। मेरे सपने
में भी मैंने ऐसे प्रेम की कल्पना नहीं की थी।
माशूक के रूप में आपका प्रेम कितना मीठा और व्यापक
है।
स्मृर्थी
ऊपर की स्मर्ती से
प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं स्वयं को निरंतर
सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें इस बात की जागृती
आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से मेरा स्वमान बढ़ता जा
रहा है। मैं इस बात पर ध्यान देता हूँ कि मेरी
स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही है और इस
परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज से कार्य
करता हूँ।
मनोवृत्ति
बाबा आत्मा से:
केवल राम ही तुम्हें रावण की जेल से छुड़ाकर वापिस
घर ले जा सकते हैं। लिबरेटर केवल एक ही है और वह
तुम्हें रावण के राज्य से लिबरेट करते हैं।
स्वतंत्रता की
वृत्ति रखने का मेरा दृढ़ संकल्प है। मैं विकारों
की जेल से मुक्त हो रहा हूँ। मीठे बाबा मुझे
व्यर्थ और नकारात्मकता की ज़जीरों से छुड़ाते हैं।
स्वतंत्रता की वृत्ति रखने से मैं अपने असली
स्वरूप का अनुभव करता हूँ।
दृष्टि
बाबा आत्मा से: तुम
बच्चे अब जानते हो कि बाबा अब तुम्हारे सम्मुख
हैं। लेकिन, तुम अपनी देह की आंखों से उसे नहीं
देख सकते। तुम अपनी बुद्धी से यह समझते हो कि बाबा
सदा तुम्हारे सम्मुख हैं और तुम्हें पढ़ाते हैं।
अपने तीसरे नेत्र
से, मैं बाबा को अपने सम्मुख रखता हूँ। आज मैं बाबा
को सदैव अपनी दृष्टि में रखता हूँ।
लहर उत्पन्न करना
मुझे शाम 7-7:30 के
योग के दौरान पूरे ग्लोब पर पावन याद और वृत्ति की
सुंदर लहर उत्पन्न करने में भाग लेना है और मन्सा
सेवा करनी है। उपर की स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और
दृष्टि का प्रयोग करके विनिम्रता से निमित् बनकर
मैं पूरे विश्व को सकाश दूँगा।