26 मई, 2015
स्मृति
मीठे बच्चे, बाबा
तुम्हें बैठने की आदत नहीं डालते हैं, क्योंकि याद
तो चलते-फिरते भी कर सकते हो। पतित-पावन बाप को
याद करने की मेहनत है। आदत पड़ जाऐगी तो फिर
एरोप्लेन या ट्रेन में बैठे रहेंगे तो भी अपनी धुन
लगी रहेगी। तुम्हारा तो है सहज मार्ग। रोटी खाते
हो तो बाबा को याद करो।
मीठे बाबा, सारा
दिन मैं इस स्मृति की पुष्टि करता रहूँगा कि मैं
एक कर्मयोगी हूँ। मैं कर्म करते समय भी योग में
रहूँगा। “मुझे यह शरीर छोड़ कर घर जाना है”। मैं यह
बात कर्म करते समय भी ध्यान में रखूंगा। मैं
पतित-पावन बाबा को याद करने का कोई अवसर नहीं
छोड़ूंगा।
स्मृर्थी
ऊपर की स्मर्ती से
प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं स्वयं को निरंतर
सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें इस बात की जागृती
आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से मेरा स्वमान बढ़ता जा
रहा है। मैं इस बात पर ध्यान देता हूँ कि मेरी
स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही है और इस
परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज से कार्य
करता हूँ।
मनोवृत्ति
बाबा आत्मा से: जो
बच्चे अपना पूरा-पूरा पोतामेल बाप को भेज देते हैं
बाबा उन्हें ही अपनी राय देते हैं। बच्चों को बताना
चाहिए हम बाप को कैसे याद करते हैं और कब याद करते
हैं। फिर बाबा राय देंगे।
विशाल और सत्यता की
वृत्ति रखने का मेरा दृढ़ संकल्प है। बाबा को याद
का सच्चा चार्ट देने का मुझमे साहस है। बेशक मैंने
बाबा को याद ना किया हो। मेरी गल्तियों को
स्वीकारने का, याद का चार्ट बढ़ाने की ज़िम्मेवारी
लेने का और विशाल एवं सत्यता की वृत्ति अपना कर आगे
बढ़ने का मेरा दृढ़ संकल्प है।
दृष्टि
बाबा आत्मा से: यह
शरीर तो पांच भूतों का है। मैं शरीर हूँ, ऐसा कहना
गोया अपने को भूत समझना है। हम आत्मा अविनाशी हैं,
यह समझना है राईट। अपने को विनाशी शरीर समझना रांग
हो जाता है।
अविनाशी आत्मा को
अपनी दृष्टि में रखने का मेरा दृढ़ संकल्प है। मैं
स्वयं को और दूसरों को अविनाशी आत्मा के रूप में
देखूंगा।
लहर उत्पन्न करना
मुझे शाम 7-7:30 के
योग के दौरान पूरे ग्लोब पर पावन याद और वृत्ति की
सुंदर लहर उत्पन्न करने में भाग लेना है और मन्सा
सेवा करनी है। उपर की स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और
दृष्टि का प्रयोग करके विनिम्रता से निमित् बनकर
मैं पूरे विश्व को सकाश दूँगा।