20 जून, 2015
स्मृति
मीठे बच्चे, अभी यह है तुम्हारा ईश्वरीय परिवार। बाप कहते हैं अपने को आत्मा समझ बाप की याद में
रहते हो तो तुम ईश्वरीय परिवार
के हो। अगर
देह-अभिमान में आकर भूल जाते हो तो आसुरी परिवार
के हो। एक सेकंड में ईश्वरीय सम्प्रदाय के और फिर
एक सेकंड आसुरी सम्प्रदाय के बन जाते
हो। कोशिश
करनी है काम काज करते भी हम बाप को याद करें।
मीठे बाबा, सारा दिन मैं इस बात को अपनी स्मृति
में अंकित कर लूँगा कि मैं आपका हूँ और आप मेरे
हो। मेरी स्मृति में इस बात की छाप लगी है मैं आत्मा
हूँ और मैं ईश्वरीय परिवार से हूँ। मैं सारा दिन
जो कुछ भी करूँगा उसमें आप को याद करता रहूँगा।
स्मृर्थी
ऊपर की स्मर्ती से प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं
स्वयं को निरंतर सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें
इस बात की जागृती आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से
मेरा स्वमान बढ़ता जा रहा है। मैं इस बात पर ध्यान
देता हूँ कि मेरी स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही
है और इस परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज
से कार्य करता
हूँ।
मनो-वृत्ति
बाबा आत्मा से: रॉयल्टी होनी चाहिए। तुम्हारी
रसम-रिवाज दुनिया से बिल्कुल न्यारी होनी चाहिए।
रॉयल आदमी आपेही कुछ न कुछ दे देंगे। कोई पढ़कर भी
तुमको पैसे भेज देंगे। खर्चा तो तुम करते हो ना।
बोलो, हम अपना तन-मन-धन भारत की सेवा में खर्च
करते हैं।
आज मैं रॉयल्टी की वृत्ति को अपनाता हूँ। मैं याद
रखता हूँ कि रॉयल लोग किसी से कुछ मांगते नहीं। यह रॉयल वृत्ति पूरे काल-चक्र में मेरी मदद करती
है। जब मैं मांगना बंद कर देता हूँ तो मेरी वृत्ति
रॉयल हो जाती है और मेरे कर्म श्रेष्ठ बन जाते
हैं।
दृष्टि
बाबा आत्मा से: तुम जानते हो सभी मनुष्य मात्र इस
सृष्टि चक्र में आते हैं, इससे कोई एक भी छूट नहीं
सकता। बाप समझाते हैं मनुष्य की आत्मा एक शरीर
छोड़ दूसरा लेती है, कितना बड़ा ड्रामा है।
सबमें आत्मा है, उस आत्मा में अविनाशी पार्ट भरा
हुआ है।
आज मैं अपनी दृष्टि में सम्पूर्ण सृष्टि चक्र को
रखूँगा। मैं
आत्माओं को और उनके अविनाशी पार्ट को देखता हूँ।
लहर उत्पन्न करना
मुझे शाम 7-7:30 के योग के दौरान पूरे ग्लोब पर
पावन याद और वृत्ति की सुंदर लहर उत्पन्न करने में
भाग लेना है और मन्सा सेवा करनी है। उपर की
स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और दृष्टि का प्रयोग करके
विनिम्रता से निमित् बनकर मैं पूरे विश्व को सकाश
दूँगा।