19 जून, 2015
स्मृति
मीठे बच्चे, वाइसलेस की शक्ति द्वारा सूक्ष्मवतन
वा तीनों लोकों का अनुभव करने वाले श्रेष्ठ
भाग्यवान भव।
मीठे बाबा, सारा दिन मैं तीनों ही लोकों में घुमता
रहूँगा। आपके साथ सब सम्बन्ध होने से मेरे विचार
आप तक सूक्ष्म लोक में पहुँचते हैं। मैं सूक्ष्म
लोक में आपके साथ योग लगा कर स्वयं को शक्तियों से
भर लेता हूँ और विकारों से मुक्त हो जाता हूँ।
स्मृर्थी
ऊपर की स्मर्ती से प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं
स्वयं को निरंतर सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें
इस बात की जागृती आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से
मेरा स्वमान बढ़ता जा रहा है। मैं इस बात पर ध्यान
देता हूँ कि मेरी स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही
है और इस परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज
से कार्य करता हूँ।
मनो-वृत्ति
बाबा आत्मा से: कोई की किसी सखी से प्रीत हो जाती
है तो फिर उनकी याद ठहर जाती है। फिर वह रग टूटने
में बड़ी मुश्किलात होती है। पूछते हैं बाबा यह क्या
है ! अरे तुम नाम-रूप में क्यों फंसते हो ? एक तो
तुम देह-अभिमानी बनते हो दूसरा फिर तुम्हारा कोई
पास्ट का हिसाब-किताब है, वह धोखा देता है। बाप
कहते हैं इन आंखों से जो कुछ देखते हो उनमें बुद्धि
न जाये।
स्वराज्य अधिकारी की वृत्ति अपनाने का मेरा दृढ़
संकल्प है। स्वराज्य अधिकारी के स्वमान से मैं
स्वयं को मोह की रगों से मुक्त करता हूँ। जो कुछ
भी मेरे आस-पास दिखाई दे रहा है मैं स्वयं को उससे
जुदा कर लेता हूँ।
दृष्टि
बाबा आत्मा से: बाबा और भी राय देते हैं अपने ताज
व तख्त का फोटो अपने पॉकेट में रख दो तो याद रहेगी।
इनसे हम यह बनते हैं। जितना देखेंगे उतना याद
करेंगे। फिर उसमें ही मोह लग जायेगा।
मैं स्वयं का, ताज और तख्त पर विराजित भविष्य रूप
का फोटो अपनी बुद्धि में खींच लेता हूँ। इस फोटो
को आज मैं अपनी दृष्टि में रखता हूँ। मैं स्वयं को
श्रेष्ट और कुलीन हस्ती के रूप में देखता हूँ और
मुझे ऐसा बनाने वाले बाबा को भी याद करता हूँ।
लहर उत्पन्न करना
मुझे शाम 7-7:30 के योग के दौरान पूरे ग्लोब पर
पावन याद और वृत्ति की सुंदर लहर उत्पन्न करने में
भाग लेना है और मन्सा सेवा करनी है। उपर की
स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और दृष्टि का प्रयोग करके
विनिम्रता से निमित् बनकर मैं पूरे विश्व को सकाश
दूँगा।