19
मई,
2015
स्मृति
मीठे बच्चे: अब बाप
को याद करो जैसे छोटे बच्चे मां-बाप को याद करते
हैं। वह तो देहधारी हैं। तुम बच्चे हो विचित्र। यह
चित्र(शरीर) तुम्हें यहां मिलते हैं। तुम रहने
वाले विचित्र देश के हो। वहां चित्र रहता नहीं।
पहले पहले यह पक्का करना है कि हम आत्मा हूं।
बच्चे, देही-अभिमानी बनो !
मीठे बाबा: सारा दिन
मैं इस स्मृति की पुष्टि करता रहूंगा कि मैं आत्मा
हूं। मैं निवार्ण धाम का रहने वाला हूं। वही मेरा
घर है। वही सभी आत्माओं का घर है। मैं अपना पार्ट
बजाने यहां आया हूं। मेरी बुद्धि में इस बात की
जागृति है कि मैं पहले पहले पार्ट बजाने आता हूं।
स्मृर्थी
ऊपर की स्मर्ती से
प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं स्वयं को निरंतर
सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें इस बात की जागृती
आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से मेरा स्वमान बढ़ता जा
रहा है। मैं इस बात पर ध्यान देता हूँ कि मेरी
स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही है और इस
परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज से कार्य
करता हूँ।
मनो-वृत्ति
बाबा आत्मा से: तुम
बच्चों को अब अथाह खुशी होनी चाहिए। तुम्हारे
ख्याल-ख्वाब में भी नहीं था कि हम विश्व के मालिक
बनते हैं। तुम बच्चे जानते हो कि ऊंचे ते ऊंचा
निराकारी परमात्मा तुम्हें पढ़ा रहे हैं। इसलिए
तुम्हें अथाह खुशी होनी चाहिए।
मेरा दृढ़ संकल्प है
कि मैं उत्कृष्ट आनंद की स्थिति की वृत्ति रखूंगा
कि बाबा मुझे पढ़ा रहें हैं और विश्व का मालिक बना
रहे हैं। मुझे अपनी वृत्ति में यह बात भी रखनी है
कि पहले इस संसार पर लक्ष्मी और नारायण का राज्य
था।
दृष्टि
बाबा आत्मा से: देखो
रचता रचना को जानने से तुम क्या बनते हो और न
जानने से तुम क्या बन पड़ते हो। तुम जानने से
सालवेन्ट बनते हो और न जानने से तुम इनसालवेन्ट बन
जाते हो।
रचता और रचना को देखने का मेरा दृढ़ संकल्प है।
मेरी दृष्टि में मैं सम्पन्नता का अनुभव करता हूं।
लहर उत्पन्न करना
मुझे शाम
7-7:30 के योग के
दौरान पूरे ग्लोब पर पावन याद और वृत्ति की सुंदर
लहर उत्पन्न करने में भाग लेना है और मन्सा सेवा
करनी है। उपर की स्मृर्ति,
मनो-वृत्ति और दृष्टि का प्रयोग करके विनिम्रता से निमित् बनकर मैं
पूरे विश्व को सकाश दूँगा।