18 जून, 2015
स्मृति
तुम मीठे-मीठे फूल बच्चे जानते हो कि बाप हमको सब
युक्तियां, सब राज़ समझाते हैं। मुख्य बात यह है कि
बाप को याद करो। पतित-पावन बाप तुम्हारे सामने बैठे
हैं। कितने निर्माण हैं। कोई अहंकार नहीं, बिल्कुल
साधारण चलते रहते हैं। बापदादा दोनों ही बच्चों के
सर्वेन्ट हैं। तुम्हारे दो सर्वेन्ट हैं ऊंचे ते
ऊंचे शिवबाबा फिर प्रजापिता ब्रहमा।
मीठे बाबा, सारा दिन मैं इस स्मृति की पुष्टि करता
रहूँगा कि आप, पतित-पावन मेरे सम्मुख बैठे हो। आप
कितने निर्माण और सदा ही मेरे लिए उपलब्ध हैं। आपको
बार-बार अपने जीवन में प्रयोग में लाना मैं याद
रखता हूँ। आप साधारणता से चलते हो और आपमें कोई
अहंकार नहीं है, मुझे भी ऐसे ही चलना है।
स्मृर्थी
ऊपर की स्मर्ती से प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं
स्वयं को निरंतर सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें
इस बात की जागृती आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से
मेरा स्वमान बढ़ता जा रहा है। मैं इस बात पर ध्यान
देता हूँ कि मेरी स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही
है और इस परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज
से कार्य करता हूँ।
मनो-वृत्ति
बाबा आत्मा से: तुम बच्चों को अंदर में खुशी रहनी
चाहिए हमको शिवबाबा सुखी बनाते हैं- 21 जन्मों के
लिए। ऐसे बाप के पिछाड़ी तो कुर्बान जाना चाहिए।
यहां तो तुमको मोस्ट-बिलवेड बनना है। किसी को भी
दुख नहीं देना है। जो रहमदिल बच्चे हैं उनकी दिल
होती है हम गांव-गांव जाकर सर्विस करें।
संतुष्टता की या खुशी की वृत्ति अपनाने का मेरा
दृढ़ संकल्प है। बाबा को पाने की खुशी में, मुझे
प्रेरणा मिलती है कि मैं बाबा के बारे में सबको
बताऊं। इससे, मेरी दिल से सेवा करने की इच्छा
उत्पन्न् होती है।
दृष्टि
बाबा आत्मा से: शिव शक्तियों का ही नाम बाला है
क्योंकि जैसे बाप ने सर्विस की है, सबको पवित्र
बनाकर सदा सुखी बनाया है, ऐसे तुम भी बाप के
मददगार बनते हो। अब बाप कहते हैं तुम बच्चों को
मन्सा, वाचा, कर्मणा सबको सुख देना है। सबको
सुखधाम का रास्ता बताना है। तुम्हारा ध्ंधा ही यह
हुआ।
आज अपनी दृष्टि में मैं स्वयं को बाबा की मददगार,
शिवशक्ति के रूप में देखता हूँ। मेरी दृष्टि से
खुशी फैल रही है। मैं अपनी दृष्टि से सबको सुखधाम
का रास्ता बताता हूँ।
लहर उत्पन्न करना
मुझे शाम 7-7:30 के योग के दौरान पूरे ग्लोब पर
पावन याद और वृत्ति की सुंदर लहर उत्पन्न करने में
भाग लेना है और मन्सा सेवा करनी है। उपर की
स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और दृष्टि का प्रयोग करके
विनिम्रता से निमित् बनकर मैं पूरे विश्व को सकाश
दूँगा।