16
मई,
2015
स्मृति
मीठे बच्चे: इस
संसार में रहते सदा यह स्मृति रहे कि तुम संगमयुगी
ब्रहामण हैं। बाकि के सब मनुष्य कलियुगी हैं। तुम
अंतर देख सकते हो। तुम बुद्धि से जानते हो कि तुम
अभी कलियुग से बाहर आ गए हो। तुम जानते हो कि बाबा
आया हुआ है। संसार बदल रहा है। यह तुम्हारी बुद्धी
में हैं। यह तुम समझते हो।
प्यारे बाबा पूरे
दिन मैं यह स्मृति रखूंगा: बाबा आप हमारी बुद्धी
को गहरा और सूक्ष्म बना रहे हो। मैं इतनी छोटी सी
आत्मा हूं जो पत्थरबुद्धी से पारसबुद्धी बन रही
है। मैं अपने मन में ऐसे ही विचारों को प्रवाहित
होने दूंगा।
स्मृर्थी
ऊपर की स्मर्ती से
प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं स्वयं को निरंतर
सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें इस बात की जागृती
आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से मेरा स्वमान बढ़ता जा
रहा है। मैं इस बात पर ध्यान देता हूँ कि मेरी
स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही है और इस
परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज से कार्य
करता हूँ।
मनोवृत्ति
बाबा आत्मा से: तुम
समझते हो कि तुम एक बाप की संतान हो। जिसे हर कोई
परमात्मा पिता कहता है। हम उसके हैं। हम आत्माओं
का परिवार है।
मुझे प्रत्येक को
ईश्वरीय परिवार के सदस्य के रूप में देखने का दृढ़
संकल्प है। जब मैं हरेक को ईश्वरीय संतान, जिसका
वर्से पर अधिकार है, के रूप में देखता हूं तो मेरी
वृत्ति का विस्तार हो जाता है और मैं हरेक को
ईश्वरीय परिवार में शामिल कर लेता हूं।
दृष्टि
बाबा आत्मा से: एक
योगी अपनी दृष्टि से दूसरों को शांत कर सकता है।
दृष्टि एक ऐसी शक्ति है जिससे आत्माऐं पूर्णतया
मौन में चली जाती हैं।
अशरीरी बनने का
अभ्यास करने का मेरा दृढ़ संकल्प है। मुझे योग में
ऐसी अवस्था बनाने का पुरूषार्थ करना है कि मेरी
दृष्टि से कोई भी शांत हो जाए और वे पूर्णतया मौन
का अनुभव कर सकें।
लहर उत्पन्न करना
मुझे शाम 7-7:30 के
योग के दौरान पूरे ग्लोब पर पावन याद और वृत्ति की
सुंदर लहर उत्पन्न करने में भाग लेना है और मन्सा
सेवा करनी है। उपर की स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और
दृष्टि का प्रयोग करके विनिम्रता से निमित् बनकर
मैं पूरे विश्व को सकाश
दूँगा।