15
मई,
2015
स्मृति
मीठे
बच्चे:
तुम
पतित
आत्माऐं
हों
इसलिए
ही
तुमने
मुझे
पुकारा
है
कि
आकर
हमें
पावन
बनाओ।
अब
मैं
कहता
हूँ,
मुझे
याद
करो
और
पावन
बनो!
यहां
हरेक
आकर
पढ़ाई
नहीं
करेगा।
वही
जिन्होंने
कल्प
पहले
पढ़ाई
की
होगी
वही
फिर
से
आऐंगे।
ऐसी
आत्माऐं
कहेंगी:
बाबा,
हम
आपसे
क्ल्प
पहले
मिले
हैं;
हम
यहां
पढ़ने
आऐं
हैं;
हम
याद
की
यात्रा
सीखने
आऐं
हैं।
मीठे
बाबा,
पूरे
दिन
मैं
इस
बात
की
स्मृति
रखूंगा:
कि
आप
हम
बच्चों
को
पतित
से
पावन
बनने
का
रास्ता
बताने
आऐ
हो।
अपने
पापों
को
भस्म
करने
के
लिए,
याद
के
साथ-साथ
हमें
अपने
वर्तमान
जन्म
के
पाप
कर्मों
को
और
दान
व
पुण्य
कर्मों
को
स्वीकारना
होगा।
स्मृर्थी
ऊपर
की
स्मर्ती
से
प्राप्त
होने
वाली
शक्ति
से
मैं
स्वयं
को
निरंतर
सशक्त
अनुभव
कर
रहा
हूँ।
मुझमें
इस
बात
की
जागृती
आ
रही
है
कि
मेरी
स्मृर्ती
से
मेरा
स्वमान
बढ़ता
जा
रहा
है।
मैं
इस
बात
पर
ध्यान
देता
हूँ
कि
मेरी
स्मृर्ती
से
मुझमें
शक्ति
आ
रही
है
और
इस
परिवर्तनशील
संसार
में
मैं
समभाव
और
धीरज
से
कार्य
करता
हूँ।
मनोवृत्ति
बाबा
आत्मा
से:
जो
तुम्हारा
है
वह
मेरा
है
और
जो
मेरा
है
वह
तुम्हारा
है।
तुम
तन-मन-धन
से
मेरे
सहयोगी
बनते
हो
और
बदले
में
तुम
यह
पाते
हो।
अपने
तन-मन
और
धन
का
ट्रस्टी
बन
कर
रहने
का
मेरा
दृढ़
संकल्प
है।
दृष्टि
बाबा
आत्मा
से:
लोग
कहते
हैं
कि
इस
अद्भुत
नाटक
को
रचने
के
लिए
परमात्मा
ने
एक
रूप
धारण
किया।
इसलिए
वह
पार्ट
अवश्य
बजाएगा।
भगवान
के
रूप
को
देखो!
उसे
आत्मा
की
नज़र
से
देखो।
उसे
बुद्धी
की
नज़र
से
पहचानो।
अपने
नैनों
के
लेंस
से
उसके
गुणों
और
शक्तियों
की
किरणें
फैलाओ।
मेरा
दृढ़
संकल्प
है
कि
मुझे
अपने
नैनो
में
छलकते
प्रेम
से
भगवान
का
साक्षात्कार
कराना
है।
इसके
लिए
मुझे
निरंतर
उस
एक
को
याद
करना
होगा,
ताकि
उसकी
अव्यभिचारी
याद
दूसरों
की
आत्माओं
को
छू
ले।
मैं
केवल
उसे
ही
प्रेम
करूंगा
ताकि
उसका
प्रेम
मेरी
आंखों
से
छलक
सके
और
दूसरों
के
हृदयों
को
छू
ले।
लहर
उत्पन्न
करना
मुझे शाम 7-7:30 के योग के दौरान पूरे ग्लोब पर
पावन याद और वृत्ति की सुंदर लहर उत्पन्न करने में
भाग लेना है और मन्सा सेवा करनी है। उपर की
स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और दृष्टि का प्रयोग करके
विनिम्रता से निमित् बनकर मैं पूरे विश्व को सकाश
दूँगा।