14
मई,
2015
स्मृति
मीठे बच्चे:
सदा इस स्मृति में रहो कि तुम ना स्त्री हो ना
पुरूष हो बल्कि आत्मा हो और आप बड़े बाबा
(शिवबाबा)
से छोटेबाबा
(ब्रहमा
बाबा)
द्वारा वर्सा ले रहे हो । यह
स्मृति रावणपने की स्मृति को भुला देगी । जबकि
तुम्हें स्मृति आई कि तुम एक बाप के बच्चे हैं तो
रावणपने की स्मृति समाप्त हो जाती है । यह भी
पवित्र रहने की बहुत अच्छी युक्ति है परन्तु इसमें
मेहनत चाहिए ।
प्यारे बाबा,
पूरे दिन मैं इस बात को बार बार दोहराउंगा:
श्रीमत का पालन करके मैं स्वयं को स्वराज्य का
तिलक दे रहा हूं और लायक बन रहा हूं । मै समझता
हूं कि मैं आत्मा सर्व गुणों से सम्पन्न हूं ।
स्मृर्थी
ऊपर की स्मर्ती से प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं
स्वयं को निरंतर सशक्त अनुभव कर रहा हूँ । मुझमें
इस बात की जागृती आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से
मेरा स्वमान बढ़ता जा रहा है । मैं इस बात पर ध्यान
देता हूँ कि मेरी स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही
है और इस परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज
से कार्य करता हूँ ।
मनोवृत्ति
बाबा आत्मा से:
यह
(ब्रहमा)
पुरूषार्थी विधार्थी है । आप भी विधार्थी हो । यह
भी पढ़ता है;
बाप की याद में भी रहता है । लक्ष्मी नारायण के
चित्र को देखने से इतनी खुशी होती है क्योंकि यह
बनने वाला है । तुम्हें भी स्वर्ग का प्रिंस और
प्रिंसेस बनना है । यह राजयोग है । यही तुम्हारा
ऐम और ऑब्जैक्टिव है ।
हमेशा सीखने की वृत्ति रखने का और दिव्यता के
मनोभाव को खोज करने का मेरा दृढ़ संकल्प है क्योंकि
इससे मेरा व्यवहार रॉयल होगा । सीखने की वृत्ति
रखने से मैं पूछताछ करता हूं जिससे शाश्वत सत्यों
का खुलासा होता है ।
दृष्टि
बाबा आत्मा से:
संसार में सम्पूर्ण अन्धकार है । झूठ ही झूठ है ।
संसार को फिर से सचखंड कौन बनाएगा
?
सिर्फ आप ही यह जानते हो । और आप उसे आत्मा की
आंखों से देख सकते हो ।
आत्मा की आंखों से अन्धकार और झूठ को मिटाने का
मेरा दृढ़ संकल्प है । मैं गुण और अवगुण के भेद को
परखूंगा;
और माया के भिन्न्
भिन्न्
रूपों को पहचान लूंगा ।
लहर उत्पन्न करना
मुझे शाम 7-7:30 के योग के दौरान पूरे ग्लोब पर
पावन याद और वृत्ति की सुंदर लहर उत्पन्न करने में
भाग लेना है और मन्सा सेवा करनी है । उपर की
स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और दृष्टि का प्रयोग करके
विनिम्रता से निमित् बनकर मैं पूरे विश्व को सकाश
दूँगा ।