11 जून, 2015
स्मृति
मीठे बच्चे, यह तो
एक ही मेहनत है- सिर्फ याद की। यह बहुत सहज ते सहज
है, बहुत डिफीकल्ट ते डिफीकल्ट भी है। बाप को याद
करना- इससे सहज कोई बात होती नहीं। बच्चा पैदा हुआ
और मुख से बाबा-बाबा निकलेगा। बच्ची के मुख से माँ
निकलेगा। कोई और आत्माओं को बच्चे-बच्चे नहीं
कहेंगे। यह ईश्वरीय परिवार है। आत्मा को बाप से
वर्सा मिलता है, याद करने से। देह-अभिमानी होंगे
तो वर्सा पाने में मुश्किलात होगी।
मीठे बाबा, सारा
दिन मैं इस स्मृति की पुष्टि करता रहूँगा कि मैं
आपका प्रिय और प्यारा बच्चा हूँ। मैं अपनी शरीर के
अक्स को छोड़ दूँगा और प्रकाश स्वरूप बन जाऊँगा जो
आपके नैनों में और हृदय में निवास करता है।
देह-अभिमान को छोड़ कर मैं अपने सुंदर भाग्य के
द्वार खोलता हूँ।
स्मृर्थी
ऊपर की स्मर्ती से
प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं स्वयं को निरंतर
सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें इस बात की जागृती
आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से मेरा स्वमान बढ़ता जा
रहा है। मैं इस बात पर ध्यान देता हूँ कि मेरी
स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही है और इस
परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज से कार्य
करता हूँ।
मनोवृत्ति
बाबा आत्मा से:
अक्लमंद बच्चे फौरन निर्णय लेंगे कि उस पढा़ई से
क्या मिलता है और उस पढ़ाई से क्या मिलता है। क्या
पढ़ना चाहिए। तुम बच्चों को मददगार बनना चाहिए।
समझदार बनों और अपने जीवन को ईश्वरीय सेवा में लगा
देना चाहिए।
अपने ऊँचे भाग्य के
प्रति सराहना की वृत्ति रखने का मेरा दृढ़ संकल्प
है। औरों के प्रति मुझे उदारता की वृत्ति अपनानी
है क्योंकि मेरा जीवन ईश्वरीय सेवा के लिए है।
दृष्टि
बाबा आत्मा से: गाया
ही जाता है अहो प्रभू तेरी लीला। यह इसी समय का
गायन है। यह भी गाया हुआ है तुम्हारी गति मत न्यारी।
सब आत्माओं का पार्ट न्यारा है।
आज मेरी दृष्टि से
मैं जीवन की अनुपम नाटयशाला को और प्रत्येक पात्र
के अनोखे और श्रेष्ठ पार्ट को देखता हूँ।
लहर उत्पन्न करना
मुझे शाम 7-7:30 के
योग के दौरान पूरे ग्लोब पर पावन याद और वृत्ति की
सुंदर लहर उत्पन्न करने में भाग लेना है और मन्सा
सेवा करनी है। उपर की स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और
दृष्टि का प्रयोग करके विनिम्रता से निमित् बनकर
मैं पूरे विश्व को सकाश दूँगा।