11
मई,
2015
स्मृति
मीठे
बच्चे:
तुमने
84
का
चक्कर
पूरा
किया
है
।
तुम
बच्चों
को
अब
यह
समृति
होनी
चाहिए
।
तुम
जानते
हो
कि
बाबा
आऐं
हैं
तुम्हें
फिर
से
राजधानी
का
वर्सा
दिलाने
और
तुम्हें
तमोप्रधान
से
सतोप्रधान
बनाने
।
तुम
संसार
के
मालिक
थे;
तुम
देवता
थे
।
प्यारे
बाबा,
पूरे
दिन
मैं
इस
बात
स्मृति
की
पुष्टि
करता
रहूँगा:
कि
मैंने
84
जन्म
पूरे
किये
हैं
।
मैं
पढ़ाई
को
याद
रखूंगा,
कैसे
मैं
विश्व
का
मालिक
था
और
फिर
मैं
नीचे
उतरा
।
स्मृर्थी
ऊपर
की
स्मर्ती
से
प्राप्त
होने
वाली
शक्ति
से
मैं
स्वयं
को
निरंतर
सशक्त
अनुभव
कर
रहा
हूँ
।
मुझमें
इस
बात
की
जागृती
आ
रही
है
कि
मेरी
स्मृर्ती
से
मेरा
स्वमान
बढ़ता
जा
रहा
है
।
मैं
इस
बात
पर
ध्यान
देता
हूँ
कि
मेरी
स्मृर्ती
से
मुझमें
शक्ति
आ
रही
है
और
इस
परिवर्तनशील
संसार
में
मैं
समभाव
और
धीरज
से
कार्य
करता
हूँ
।
मनो-वृत्ति
बाबा
आत्मा
से:
तुम्हारा
मुख्य
अवगुण
जो
तुम्हें
बाप
से
बेमुख
कर
देता
है
वह
है
दूसरों
के
बारे
में
सोचना,
ईविल
और
व्यर्थ
बातों
को
सुनना
और
बोलना
।
बाप
की
आज्ञा
है:
खराब
बातों
को
नहीं
सुनो
।
आप
बच्चों
को
इसकी
बात
उसको
और
उसकी
बात
इसको
बताने
के
व्यर्थ
कार्य
में
लिप्त
नहीं
होना
चाहिऐ
।
धूतिपना
छोड़
दो
।
त्यागवृत्ति
को
अपनाने
का
मेरा
संकल्प
दृढ़
है
।
मैं
दूसरों
के
बारे
में
सोचना
छोड़
दूँगा
।
मैं
और
सब
से
अपना
बुद्धियोग
हटा
कर
एक
राम
से
ही
योग
लगाऊंगा
।
दृष्टि
बाबा
आत्मा
से:
बाप
निराकारी
है
और
आप
आत्मा
भी
निराकारी
हो
।मेरा
दृढ़
संकल्प
है
कि
जिससे
भी
मैं
आज
मिलूँ
उसको
निराकारी
आत्मा
ही
देखूंगा
।
लहर
उत्पन्न
करना
मुझे
शाम
7-7:30
के
योग
के
दौरान
पूरे
ग्लोब
पर
पावन
याद
और
वृत्ति
की
सुंदर
लहर
उत्पन्न
करने
में
भाग
लेना
है
और
मन्सा
सेवा
करनी
है
।
उपर
की
स्मृर्ति,
मनो-वृत्ति
और
दृष्टि
का
प्रयोग
करके
विनिम्रता
से
निमित्
बनकर
मैं
पूरे
विश्व
को
सकाश
दूँगा
।