09 जून, 2015
स्मृति
मीठे बच्चे, मैं
निष्काम सेवाधारी हूँ। मनुष्य कोई निष्काम हो न सकें।
भूख मर जायें। हम थोडे़ ही भूख मरेंगे, हम तो
अभोक्ता हैं। तुम बच्चों को विश्व की बादशाही देकर
हम जाए विश्राम करते हैं। फिर हमारा पार्ट बंद हो
जाता। फिर भक्ति मार्ग में शुरू होता है।
मीठे बाबा, आज मैं
यह याद रखूँगा कि आप निष्काम सेवाधारी हो। आप इतने
निष्काम हो क्योंकि आप अभोक्ता हो। आप इतने सुंदर
हो क्योंकि आप निस्स्वार्थ हो। आपकी महान
परोपकारिता और मेरे भले के प्रति आपकी बेहद पावन
सहानुभूति के लिए मेरे मन में गहरी कृतज्ञता और
आभार है। आपकी एक ही शुभ इच्छा है कि मुझे आप
विश्व की बादशाही दो। जब आप सेवा करते हो तो बदले
में आप कुछ पाने की आशा नहीं रखते। इतनी अथक,
निस्सवार्थ सेवा के लिए आपका धन्यवाद।
स्मृर्थी
ऊपर की स्मर्ती से
प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं स्वयं को निरंतर
सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें इस बात की जागृती
आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से मेरा स्वमान बढ़ता जा
रहा है। मैं इस बात पर ध्यान देता हूँ कि मेरी
स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही है और इस
परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज से कार्य
करता हूँ।
मनोवृत्ति
बाबा आत्मा से:
नॉलेजफुल की विशेषता द्वारा संस्कारों के टक्कर से
बचने वाले कमल पुष्प् समान न्यारे व साक्षी भव !
मैं एक रूहानी कमल
पुष्प की वृत्ति अपनाता हूँ- जो कीचड़ में रहते भी
कीचड़ से न्यारा और प्यारा है। मैं स्वयं को स्वयं
के और दूसरों के संस्कारों के दास्तव से मुक्त करता
हूँ। इस स्मृति से मिली ताकत से मैं संस्कारों के
टकराव से स्वयं को मुक्त कर देता हूँ। मैं यह
महसूस करता हूँ कि – न्यारा रहना ही मेरा असली
स्वभाव है। इस महसूसता से मैं सभी सम्बन्धों में
मैं रूहानी कमल पुष्प की वृत्ति अपनाता हूँ।
दृष्टि
अभी तुम बच्चे
खुशबूदार फूल बनने के लिए अपने को आत्मा समझ बाप
को याद करो। कांटे नहीं बनो। यहाँ सब मीठे-मीठे
फूल हैं। कांटा नहीं। यह है बगीचा। बगीचे में
अच्छे-अच्छे फूल भी होते हैं। इस बगीचे में भी कोई
फर्स्टक्लास फूल होते जाते हैं। जैसे मुगल गार्डन
में अच्छे-अच्छे फूल होते हैं।
आज मैं प्रत्येक को
गुलाब के रूप में देखूँगा। एक गुलाब में कांटे होते
हैं फिर भी बहुत सुन्दर होता है। मैं कांटों की
अपेक्षा फूलों को देखना चयन करता हूँ। गुलाब का
प्रत्येक हिस्सा उपयोगी है; उसके तने का प्रयोग उसे
पकड़ने में होता है। मैं हर चीज़ में अच्छाई देखना
सीखता हूँ। बुद्धिमानी से मैं अपनी दृष्टि का
परिवर्तन करता हूँ और सिर्फ अच्छाई ही देखता हूँ।
जब मैं इस बात का ध्यान रखता हूँ तो मेरी दृष्टि
से मुझे खुशी मिलती है और मैं सभी को खुशी देने के
निमित्त् बन जाता हूँ।
लहर उत्पन्न करना
मुझे शाम 7-7:30 के
योग के दौरान पूरे ग्लोब पर पावन याद और वृत्ति की
सुंदर लहर उत्पन्न करने में भाग लेना है और मन्सा
सेवा करनी है। उपर की स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और
दृष्टि का प्रयोग करके विनिम्रता से निमित् बनकर
मैं पूरे विश्व को सकाश दूँगा।