02 जून, 2015
स्मृति
मीठे बच्चे, याद
करते करते शरीर छोड़ देना है इसलिए बाबा कहते हैं
देही-अभिमानी बनो ! अपने अन्दर घोटते रहो- बाप,
बीज और झाड़ को याद करना है। यह भी बच्चे जानते हैं
कि हमको ज्ञान सागर पढ़ाते हैं। कोई मनुष्य नहीं
पढ़ाते हैं। यह पक्का कर लो। तुम्हें पढ़ाई करनी है।
मीठे बाबा, पूरे
दिन मैं इस स्मृति की पुष्टि करता रहूँगा कि ‘मैं
एक आत्मा हूँ।’ मैं यह बार बार याद करूंगा कि मैं
एक आत्मा हूँ और बेहद बाप की संतान हूँ। बाबा बेहद
के वृक्ष के बीज हैं। ज्ञान का सागर मुझे पढ़ाते
हैं और मुझे स्व का और विश्व का मालिक बनाते हैं।
स्मृर्थी
ऊपर की स्मर्ती से
प्राप्त होने वाली शक्ति से मैं स्वयं को निरंतर
सशक्त अनुभव कर रहा हूँ। मुझमें इस बात की जागृती
आ रही है कि मेरी स्मृर्ती से मेरा स्वमान बढ़ता जा
रहा है। मैं इस बात पर ध्यान देता हूँ कि मेरी
स्मृर्ती से मुझमें शक्ति आ रही है और इस
परिवर्तनशील संसार में मैं समभाव और धीरज से कार्य
करता हूँ।
मनो-वृत्ति
बाबा आत्मा से:
न्यारे और प्यारे बनने का राज़ जानकर राज़ी रहने वाले
राज़युक्त भव !
मैं सन्तुष्टता या
राज़ी रहने की वृति अपनाता हूँ। राज़ी रहने का राज़
जानने के लिए मैं बाबा की तरह न्यारा और प्यारा
रहता हूँ। जब मैं राज़ी रहने की वृत्ति अपनाता हूँ
तो बाबा मुझ पर राज़ी होते हैं। बाबा को राज़ी करने
से मुझमें न्यारा और प्यारा बनने की बुद्धिमानी आ
जाती है।
दृष्टि
बाबा आत्मा से: यह
गुप्त खज़ाना भविष्य के लिए है। तुम अमरलोक के लिए
पढ़ रहे हो न कि मृत्युलोक के लिए। इस दु:ख के
संसार को अब बदलना है। सतयुग है सुख की दुनिया।
मेरी अलौकिक दृष्टि
से मैं सतयुग, अमरलोक को देखता हूँ। इस दु:ख के
संसार को देखते हुए भी मैं सतयुगी संसार को स्पष्ट
देखने की क्षमता का विकास करता हूँ। चलते फिरते भी
इस गुप्त खज़ाने को मैं अपनी दृष्टि में बनाए रखता
हूँ।
लहर उत्पन्न करना
मुझे शाम 7-7:30 के
योग के दौरान पूरे ग्लोब पर पावन याद और वृत्ति की
सुंदर लहर उत्पन्न करने में भाग लेना है और मन्सा
सेवा करनी है। उपर की स्मृर्ति, मनो-वृत्ति और
दृष्टि का प्रयोग करके विनिम्रता से निमित् बनकर
मैं पूरे विश्व को सकाश दूँगा।