26-06-1965 मधुबन आबू प्रात: मुरली साकार बाबा ओम् शांति मधुबन
हेलो, गुड इवनिंग, यह 26 जून का रात्रि क्लास है,
योग तो पढ़ना ही नहीं है । वो भले योग में जा सकते है, योग सीख सकते है; परन्तु पढ़ाई नहीं पढ़ सकते हैं । पढ़ाई पढ़ना यह तो गृहस्थी धर्म वालों का है । सन्यासी कभी स्कूल में नहीं जाएँगे । सन्यास किया.. । सन्यास के पहले स्कूल में भले जाते हों कोई न कोई एम ऑब्जेक्ट से पढ़ने के लिए । पीछे डॉक्टर बनें, क्या भी बनें । तो वो वास्तव में गाया तो ऐसे ही जाता है कि ये फकीर हैं; क्योंकि सन्यास का कपड़ा है ना । तो फकीर हैं; क्योंकि उनको खान-पान तो बनाना नहीं है । तो जैसे फकीर हो गए । भिक्षा बिगर ये खा नहीं सकते हैं । (किसी ने मातेश्वरी को अलविदा देते हुए गीत गाया) वो अपनी बच्ची को बोलता है जाओ पति के पास । तो बरोबर पियर घर से पतियों के पति के पास गई । यह तो अच्छा ही हुआ ना पति के घर गई । इसमें कोई मूँझने की तो बात ही नहीं है । अच्छा ।