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AVYAKT MURLI
31 / 12 / 84
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31-12-84 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
नए वर्ष पर अव्यक्त बापदादा के महावाक्य
नवयुग परिवर्तक, सदा कल्याणकारी शिव बाबा बोले –
आज चारों ओर के बच्चे साकार रूप में वा आकार रूप में नया युग, नया ज्ञान, नया जीवन देने वाले बापदादा से नया वर्ष मनाने के लिए इस रूहानी हाइएस्ट और होलीएस्ट नई दरबार में उपस्थित हैं। बापदादा के पास सभी बच्चों के दिल के उमंग उत्साह और परिवर्तन करने की प्रतिज्ञाओं का शुभसंकल्प, शुभ भावनायें, शुभ कामनायें पहुँच गई हैं। बापदादा भी सर्व नये विश्व के निर्माताओं को, विश्व परिवर्तक विशेष आत्माओं को सदा पुरानी दुनिया के पुराने संस्कार, पुरानी स्मृतियाँ, पुरानी वृत्तियाँ, पुरानी देह की स्मृति के भान से परे रहने वाले सर्व पुरानी बातों को विदाई देने वालों को सदा के लिए बधाई दे रहे हैं। बीती को बिन्दी लगाए, स्वराज्य की बिन्दी लगाने वालों को स्वराज्य के तिलक की बधाई दे रहे हैं। सभी बच्चों को इस विदाई की बधाई के साथ नये वर्ष की विशेष सौगात –
‘‘सदा साथ रहो’’, ‘‘सदा समान रहो’’, ‘‘सदा दिलतख्तनशीन श्रेष्ठ रूहानी नशे में रहो’’ यही वरदान की सौगात दे रहे हैं।
यह सारा वर्ष यही समर्थ स्मृति रहे - साथ हैं, बाप समान हैं तो स्वत: ही हर संकल्प में विदाई की बधाई के अनुभव करते रहेंगे। पुराने को विदाई नहीं तो नवीनता की बधाई अनुभव नहीं कर सकते हैं। इसलिए जैसे आज पुराने वर्ष को विदाई दे रहे हो वैसे वर्ष के साथ जो सब पुरानी बातें सुनाई उस पुराने-पन को सदा के लिए विदाई दो। नया युग है, नया ब्राह्मणों का सुन्दर संसार है, नया सम्बन्ध है, नया परिवार है। नई प्राप्तियाँ हैं। सब नया ही नया है। देखते हो तो भी रूहानी नजर से रूह को देखते हो। रूहानी बातों को ही सोचते हो। तो सब नया हो गया ना! रीति नई, प्रीति नई सब नया। तो सदा नवीनता की बधाई में रहो। इसको कहा जाता है - रूहानी बधाई। जो एक दिन के लिए नहीं लेकिन सदा रूहानी बधाईयों से वृद्धि को पाते रहते हो। बापदादा और सर्व ब्राह्मण परिवार की बधाईयों वा रूहानी आशीर्वादों से पल रहे हो, चल रहे हो - ऐसे न्यू ईयर विश्व में कोई मना नहीं सकते। वह अल्पकाल का मनाते हैं। आप अविनाशी सदा का मनाते हो। वह मनुष्य आत्मायें मनुष्यों से ही मनाते, आप श्रेष्ठ आत्मायें परमात्मा बाप से मनाते हो। विधाता से वरदाता से मनाते हो। इसलिए मनाना अर्थात् खज़ानों से, वरदानों से सदा के लिए झोली भरना। उन्हों का है मनाना और गँवाना। यह है झोली भरना। इसलिए ही बापदादा से मनाते हो ना। वो लोग हैपी न्यू ईयर कहते, आप ‘एवर हैपी न्यू ईयर’ कहते। आज खुशी और कल दुख की घटना दुखी नहीं बनाती। कैसी भी दुःख की घटना हो लेकिन ऐसे समय पर भी सुख, शान्ति स्वरूप स्थिति द्वारा सर्व को सुख-शान्ति की किरणें देने वाले मास्टर सुख के सागर बन दाता का पार्ट बजाते हो। इसलिए घटना के प्रभाव से परे हो जाते हो। और एवर हैपी का सदा अनुभव करते हो। तो इस नये वर्ष में नवीनता क्या करेंगें? कांफ्रेंस करेंगे, मेले करेंगे। अभी सब पुरानी रीत रसमों से, पुरानी चाल चलन से थके हुए तो हैं ही। सभी समझते हैं - कुछ नया होना चाहिए। क्या नया हो, कैसे हो, वह समझ नहीं सकते हैं। ऐसी नवीनता की इच्छा रखने वालों को नये ज्ञान द्वारा नई जीवन द्वारा नवीनता की झलक का अनुभव कराओ। यह अच्छा है, इतना भी समझते हैं, लेकिन नया है, यही नया ज्ञान नया युग ला रहा है, यह अनुभव अभी गुप्त है। होना चाहिए, यह कहते हैं। उन्हों की चाहना पूर्ण करने के लिए नई जीवन का प्रत्यक्ष एक्जैम्पुल उन्हों के सामने प्रत्यक्ष रूप में लाओ। जिससे नई झलक उन्हों को अनुभव हो। तो नया ज्ञान प्रत्यक्ष करो। हर एक ब्राहमण की जीवन से नवनीता का अनुभव हो तब नई सृष्टि की झलक उन्हों को दिखाई दे। कोई भी प्रोग्राम करो उसमें लक्ष रखो - सभी को नवीनता का अनुभव हो। यह भी अच्छा कार्य हो रहा, इस रिमार्क देने के बजाए यह अनुभव करें कि यह नया ज्ञान, नया संसार लाने वाला है। समझा। नई सृष्टि की स्थापना के अनुभव कराने की लहर फैलाओ। नई सृष्टि आई कि आई। अर्थात् हम सब की शुभ भावनाओं का फल मिलने का समय आ गया है, ऐसा उमंग-उत्साह उन्हों के मन में उत्पन्न हो। सभी के मन में निराशा के बदले शुभ भावनाओं के दीपक जागाओ। कोई भी बड़ा दिन मनाते हैं तो दीपक भी जगाते हैं। आजकल तो रायल मोमबत्तियाँ हो गई हैं। तो सभी के मन में यह दीपक जगाओ। ऐसा न्यू ईयर मनाओ। श्रेष्ठ भावनाओं के फल की सौगातें सभी को दो। अच्छा –
सदा सर्व को नई जीवन, नये युग की झलक दिखाने वाले, नये उमंग-उत्साह की बधाई देने वाले, सर्व को एवर हैपी बनाने वाले, विश्व को नई रचना का अनुभव कराने वाले, ऐसे सर्व श्रेष्ठ नये युग परिवर्तक, विश्व-कल्याणकारी, सदा बाप के साथ का अनुभव करने वाले, बाप के सदा साथी बच्चों को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।’’
पार्टियों से
1- नये वर्ष का नया उमंग, नया उत्साह सदा के लिए रहना है, ऐसा दृढ़ संकल्प सभी ने किया? नया युग है, इसमें हर संकल्प नये से नया हो। हर कर्म नये से नया हो। इसको कहा जाता है - नया उमंग नया उत्साह। ऐसा दृढ़ संकल्प किया? जैसे अविनाशी बाप है, ऐसे बाप द्वारा प्राप्ति भी अविनाशी है। तो अविनाशी प्राप्ति दृढ़ संकल्प द्वारा प्राप्त कर सकते हो। तो अपने कार्य स्थान पर जाकर इस अविनाशी दृढ़ संकल्प को भूल नहीं जाना। भूलना अर्थात् अप्राप्ति और दृढ़ संकल्प रहना अर्थात् सर्व प्राप्ति।
सदा अपने को पद्मापद्म भाग्यवान आत्मा समझो। जो कदम याद से उठाते हो उस हर कदम में पद्मों की कमाई भरी हुई है। तो सदा अपने को एक दिन में अनगिनत कमाई करने वाले पद्मापद्म भाग्यवान आत्मा समझ इसी खुशी में सदा रहो कि वाह मेरा श्रेष्ठ भाग्य! तो आपको खुश देखकर औरों को भी प्रेरणा मिलती रहेगी। यही सेवा का सहज साधन है। जो याद और सेवा में सदा मस्त रहते हैं वही सेफ रहते हैं, विजयी रहते हैं। याद और सेवा ऐसी शक्ति है जिससे सदा आगे से आगे बढ़ते रहेंगे। सिर्फ याद और सेवा का बैलेन्स जरूर रखना है। बैलेन्स ही ब्लैसिंग दिलायेगा। हिम्मतवान बच्चों को हिम्मत के कारण सदा ही मदद मिलती है। हिम्मत का एक कदम बच्चे उठाते तो हजार कदम बाप की मदद मिल जाती है।
रात के 12 बजने के बाद 1.1.85 को विदेशी भाई बहिनों ने नये वर्ष की खुशी में गीत गाये तथा बापदादा ने सभी बच्चों को मुबारक दी
जैसे बच्चे बाप के स्नेह से याद में गीत गाते और लवलीन हो जाते हैं, ऐसे बाप भी बच्चों के स्नेह में समाये हुए हैं। बाप माशूक भी है तो आशिक भी है। हर एक बच्चे की विशेषता के ऊपर बाप भी आशिक होते हैं। तो अपनी विशेषता को जानते हो? बाप आपके ऊपर किस विशेषता से आशिक हुआ, यह अपनी विशेषता हरेक जानते हो?
सारे विश्व में से कितने थोड़े ऐसे बाप के स्नेही बच्चे हैं। तो बापदादा सभी स्नेही बच्चों को न्यू ईयर की बहुत-बहुत दिल व जान, सिक व प्रेम से पद्मगुणा बधाई दे रहे हैं। आप लोगों ने जैसे गीत गाये तो बापदादा भी बच्चों की खुशी के गीत गाते हैं। बाप के गीत मन के हैं और आपके मुख के हैं। आपका तो सुन लिया, बाप का भी सुना ना?
इस नये वर्ष में सदा हर कर्म में कोई न कोई विशेषता जरूर दिखाते रहना। हर संकल्प विशेष हो, साधारण नहीं हो? क्यों? विशेष आत्माओं का हर संकल्प, बोल और कर्म विशेष ही होता है। सदा उमंग-उत्साह में आगे बढ़ते रहो। उमंग-उत्साह यह विशेष पंख हैं, इन पंखों द्वारा जितना ऊँचा उड़ना चाहो उतना उड़ सकते हो। यही पंख उड़ती कला का अनुभव कराते हैं। इन पंखों से उड़ जाओ तो विघ्न वहाँ पहुँच नहीं सकते हैं। जैसे स्पेस में जाते हैं तो धरती की आकर्षण खींच नहीं सकती। ऐसे उड़ती कला वाले को विघ्न कुछ भी कर नहीं सकते। सदा उमंग-उत्साह से आगे बढ़ना और बढ़ाना यही विशेष सेवा है। सेवाधारियों को इसी विशेषता से सदा आगे बढ़ते जाना है। अच्छा - ओमशान्ति।
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QUIZ QUESTIONS
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प्रश्न 1 :- बाबा ने किस बात के लिए बधाई दी?
प्रश्न 2 :- रूहानी बधाई बाबा ने किसे कहा?
प्रश्न 3 :- बाबा ने बच्चों से पूछा इस नये वर्ष में क्या नवीनता करेंगे?
प्रश्न 4 :- "सदा अपने को पद्मापद्म भाग्यशाली आत्मा समझो" इस तथ्य को कैसे स्पष्ट करेंगे?
प्रश्न 5 :- बाप बच्चों की किस विशेषता के ऊपर आशिक होते है?
FILL IN THE BLANKS:-
(निराशा, झोली, मदद, मन, खजानों, हिम्मतवान, सर्व, मास्टर, वरदानों, हिम्मत, दीपक, सुख-शांति, अप्राप्ति, दाता, संकल्प )
1 मनाना अर्थात् ______ से, ______ से सदा के लिए _____ भरना।
2 सर्व को ______ की किरणें देने वाले ______ सुख के सागर बन ____ का पार्ट बजाते हो।
3 सभी के _____ में _____ के बदले शुभ भावनाओं के _____ जागाओ।
4 भूलना अर्थात् _____ और दृढ़ ______ रहना अर्थात् ______ प्राप्ति।
5 ______ बच्चों को ______ के कारण सदा ही ______ मिलती है।
सही-गलत वाक्यों को चिह्नित करें:-【✔】【✖】
1 :- आज चारों ओर के बच्चे साकार रूप में वा आकार रूप में नया युग, नया ज्ञान, नया जीवन देने वाले बापदादा से नया वर्ष मनाने के लिए इस रूहानी हाइएस्ट और होलीएस्ट पुरानी दरबार में उपस्थित हैं।
2 :- यह सारा वर्ष यही समर्थ स्मृति रहे - साथ हैं, बाप समान हैं तो स्वत: ही हर संकल्प में विदाई की बधाई के अनुभव करते रहेंगे।
3 :- ऐसे न्यू ईयर विश्व में कोई मना नहीं सकते। वह अल्पकाल का मनाते हैं। आप अविनाशी सदा का मनाते हो। वह मनुष्य आत्मायें मनुष्यों से ही मनाते, आप श्रेष्ठ आत्मायें परमात्मा बाप से मनाते हो।
4 :- अविनाशी बाप है, ऐसे बाप द्वारा प्राप्ति भी अविनाशी है। तो अविनाशी प्राप्ति दृढ़ संकल्प द्वारा प्राप्त कर सकते हो।
5 :- बाप के गीत मन के हैं और आपके मुख के हैं। आपका तो सुन लिया, बाप का भी सुना ना?
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QUIZ ANSWERS
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प्रश्न 1 :- बाबा ने किस बात के लिए बधाई दी?
उत्तर 1 :-बापदादा भी सर्व नये विश्व के निर्माताओं को, विश्व परिवर्तक विशेष आत्माओं को सदा पुरानी दुनिया के पुराने संस्कार, पुरानी स्मृतियाँ, पुरानी वृत्तियाँ, पुरानी देह की स्मृति के भान से परे रहने वाले सर्व पुरानी बातों को विदाई देने वालों को सदा के लिए बधाई दे रहे हैं।
❶ बीती को बिन्दी लगाए, स्वराज्य की बिन्दी लगाने वालों को स्वराज्य के तिलक की बधाई दे रहे हैं।
❷ सभी बच्चों को इस विदाई की बधाई के साथ नये वर्ष की विशेष सौगात – ‘‘सदा साथ रहो’’, ‘‘सदा समान रहो’’, ‘‘सदा दिलतख्तनशीन श्रेष्ठ रूहानी नशे में रहो’’ यही वरदान की सौगात दे रहे हैं।
प्रश्न 2 :- रूहानी बधाई बाबा ने किसे कहा?
उत्तर 2 :- सदा नवीनता की बधाई में रहना ही रूहानी बधाई है।
❶ नया युग है, नया ब्राह्मणों का सुन्दर संसार है, नया सम्बन्ध है, नया परिवार है। नई प्राप्तियाँ हैं।
❷ सब नया ही नया है, देखते हो तो भी रूहानी नजर से रूह को देखते हो। रूहानी बातों को ही सोचते हो। तो सब नया हो गया ना!
❸ रीति नई, प्रीति नई सब नया। तो सदा नवीनता की बधाई में रहो। जो एक दिन के लिए नहीं लेकिन सदा रूहानी बधाईयों से वृद्धि को पाते रहते हो।
प्रश्न 3 :- बाबा ने बच्चों से पूछा इस नये वर्ष में क्या नवीनता करेंगे?
उत्तर 3 :- नवीनता की इच्छा रखने वालों को नये ज्ञान द्वारा नई जीवन द्वारा नवीनता की झलक का अनुभव कराओ।
❶ यह अच्छा है, इतना भी समझते हैं, लेकिन नया है, यही नया ज्ञान नया युग ला रहा है, यह अनुभव अभी गुप्त है।
❷ उन्हों की चाहना पूर्ण करने के लिए नई जीवन का प्रत्यक्ष एक्जैम्पुल उन्हों के सामने प्रत्यक्ष रूप में लाओ। जिससे नई झलक उन्हों को अनुभव हो। तो नया ज्ञान प्रत्यक्ष करो।
❸ हर एक ब्राहमण की जीवन से नवनीता का अनुभव हो तब नई सृष्टि की झलक उन्हों को दिखाई दे।
❹ कोई भी प्रोग्राम करो उसमें लक्ष रखो - सभी को नवीनता का अनुभव हो। यह भी अच्छा कार्य हो रहा, इस रिमार्क देने के बजाए यह अनुभव करें कि यह नया ज्ञान, नया संसार लाने वाला है।
❺ नई सृष्टि की स्थापना के अनुभव कराने की लहर फैलाओ। नई सृष्टि आई कि आई। अर्थात् हम सब की शुभ भावनाओं का फल मिलने का समय आ गया है। ऐसा उमंग-उत्साह उन्हों के मन में उत्पन्न हो।
❻ सभी के मन में निराशा के बदले शुभ भावनाओं के दीपक जागाओ।
प्रश्न 4 :- "सदा अपने को पद्मापद्म भाग्यशाली आत्मा समझो" इस तथ्य को कैसे स्पष्ट करेंगे?
उत्तर 4 :-बाबा ने कहा जो कदम याद से उठाते हो उस हर कदम में पद्मों की कमाई भरी हुई है। तो सदा अपने को एक दिन में अनगिनत कमाई करने वाले पद्मापद्म भाग्यवान आत्मा समझ इसी खुशी में सदा रहो कि वाह मेरा श्रेष्ठ भाग्य! तो आपको खुश देखकर औरों को भी प्रेरणा मिलती रहेगी। यही सेवा का सहज साधन है। जो याद और सेवा में सदा मस्त रहते हैं वही सेफ रहते हैं, विजयी रहते हैं। याद और सेवा ऐसी शक्ति है जिससे सदा आगे से आगे बढ़ते रहेंगे।
प्रश्न 5 :- बाप बच्चों की किस विशेषता के ऊपर आशिक होते है?
उत्तर 5 :- बच्चे बाप के स्नेह से याद में गीत गाते और लवलीन हो जाते हैं, ऐसे बाप भी बच्चों के स्नेह में समाये हुए हैं। हर एक बच्चे की विशेषता के ऊपर बाप भी आशिक होते हैं।
❶ सारे विश्व में से कितने थोड़े ऐसे बाप के स्नेही बच्चे हैं। इस नये वर्ष में सदा हर कर्म में कोई न कोई विशेषता जरूर दिखाते रहना।
❷ हर संकल्प विशेष हो, साधारण नहीं हो, विशेष आत्माओं का हर संकल्प, बोल और कर्म विशेष ही होता है।
❸ सदा उमंग-उत्साह में आगे बढ़ते रहो। उमंग-उत्साह यह विशेष पंख हैं, इन पंखों द्वारा जितना ऊँचा उड़ना चाहो उतना उड़ सकते हो।
❹ यही पंख उड़ती कला का अनुभव कराते हैं। इन पंखों से उड़ जाओ तो विघ्न वहाँ पहुँच नहीं सकते हैं।
❺ सदा उमंग-उत्साह से आगे बढ़ना और बढ़ाना यही विशेष सेवा है। सेवाधारियों को इसी विशेषता से सदा आगे बढ़ते जाना है।
FILL IN THE BLANKS:-
(निराशा, झोली, मदद, मन, खजानों, हिम्मतवान, सर्व, मास्टर, वरदानों, हिम्मत, दीपक, सुख-शांति, अप्राप्ति, दाता, संकल्प )
1 मनाना अर्थात् ______ से, ______ से सदा के लिए _____ भरना।
खजानों / वरदानों / झोली
2 सर्व को ______ की किरणें देने वाले ______ सुख के सागर बन ____ का पार्ट बजाते हो।
सुख-शांति / मास्टर / दाता
3 सभी के _____ में _____ के बदले शुभ भावनाओं के _____ जागाओ।
मन / निराशा / दीपक
4 भूलना अर्थात् _____ और दृढ़ ______ रहना अर्थात् ______ प्राप्ति।
अप्राप्ति / संकल्प / सर्व
5 ______ बच्चों को ______ के कारण सदा ही ______ मिलती है।
हिम्मतवान / हिम्मत / मदद
सही-गलत वाक्यों को चिह्नित करें:-【✔】【✖】
1 :- आज चारों ओर के बच्चे साकार रूप में वा आकार रूप में नया युग, नया ज्ञान, नया जीवन देने वाले बापदादा से नया वर्ष मनाने के लिए इस रूहानी हाइएस्ट और होलीएस्ट पुरानी दरबार में उपस्थित हैं।【✖】
आज चारों ओर के बच्चे साकार रूप में वा आकार रूप में नया युग, नया ज्ञान, नया जीवन देने वाले बापदादा से नया वर्ष मनाने के लिए इस रूहानी हाइएस्ट और होलीएस्ट नई दरबार में उपस्थित हैं।
2 :- यह सारा वर्ष यही समर्थ स्मृति रहे - साथ हैं, बाप समान हैं तो स्वत: ही हर संकल्प में विदाई की बधाई के अनुभव करते रहेंगे।【✔】
3 :- ऐसे न्यू ईयर विश्व में कोई मना नहीं सकते। वह अल्पकाल का मनाते हैं। आप अविनाशी सदा का मनाते हो। वह मनुष्य आत्मायें मनुष्यों से ही मनाते, आप श्रेष्ठ आत्मायें परमात्मा बाप से मनाते हो। 【✔】
4 :- अविनाशी बाप है, ऐसे बाप द्वारा प्राप्ति भी अविनाशी है। तो अविनाशी प्राप्ति दृढ़ संकल्प द्वारा प्राप्त कर सकते हो।【✔】
5 :- बाप के गीत मन के हैं और आपके मुख के हैं। आपका तो सुन लिया, बाप का भी सुना ना?【✔】