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AVYAKT MURLI
05 / 02 / 72
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05-02-72 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
नशा और निशाना
एक सेकेण्ड में अपने को अपने सम्पूर्ण निशाने और नशे में स्थित कर सकते हो? सम्पूर्ण निशाना क्या है, उसको तो जानते हो ना। जब सम्पूर्ण निशाने पर स्थित हो जाते हैं, तो नशा तो रहता ही है। अगर निशाने पर बुद्धि नहीं टिकती तो नशा भी नहीं रहेगा। निशाने पर स्थित होने की निशानी है नशा। तो ऐसा नशा सदैव रहता है? जो स्वयं नशे में रहते हैं वह दूसरों को भी नशे में टिका सकते हैं। जैसे कोई हद का नशा पीते हैं तो उनकी चलन से, उनके नैन-चैन से कोई भी जान लेता है -- इसने नशा पिया हुआ है। इसी प्रकार, यह जो सभी से श्रेष्ठ नशा है, जिसको ईश्वरीय नशा कहा जाता है, इसी में स्थित रहने वाला भी दूर से दिखाई तो देगा ना। दूर से ही वह अवस्था इतना महसूस करें - यह कोई ईश्वरीय लगन में रहने वाली आत्मायें हैं! ऐसे अपने को महसूस करते हो? जैसे आप कहां भी आते- जाते हो, तो लोग देखने से ही समझें कि यह कोई प्रभु की प्यारी न्यारी आत्मायें हैं। ऐसे अनुभव करते हैं? भक्ति-मार्ग में भी ऐसी आत्मायें होती हैं। उन्हों के नैन-चैन से प्रभु-प्रेमी देखने आते हैं। तो ऐसी स्थिति इसी दुनिया में रहते हुए, ऐसी कारोबार में चलते हुए समझते हो कि यह अवस्था रहेगी या सिर्फ लास्ट में दर्शन-मूर्त की यह स्टेज होगी? क्या समझते हो - क्या अन्त तक साधारण रूप ही रहेगा वा यह झलक चेहरों से दिखाई देगी? वा सिर्फ लास्ट टाइम जैसे पर्दे के अन्दर तैयार हो फिर पर्दा खुलता है और सीन सामने आकर समाप्त हो जाती है, ऐसे होगा? कुछ समय यह झलक दिखाई देगी। कई ऐसे समझते हैं कि जब फर्स्ट, सेकेण्ड आत्मायें जो निमित बनीं वही साधारण गुप्त रूप अपना साकार रूप का पार्ट समाप्त कर चले गये तो हम लोगों की झलक फिर क्या दिखाई देगी? लेकिन नहीं। ‘सन शोज फादर’ गाया हुआ है। तो फादर का शो बच्चे प्रैक्टिकल में लाने से ही करेंगे। ‘अहो प्रभु’ की पुकार जो आत्माओं की निकलेगी वा पश्चाताप की लहर जो आत्माओं में आयेगी वह कब, कैसे आयेगी? जिन्होंने साकार में अनुभव ही नहीं किया उन्हों को भी बाप के परिचय से कि हम बाबा के बच्चे हैं, यह कब मानेंगे कि बरोबर बाप आये लेकिन हम लोगों ने कुछ नहीं पाया? तो यह प्रैक्टिकल रूहानी झलक और फरिश्तेपन की फलक चेहरे से, चलन से दिखाई दे। अपने को और आप निमित बनी हुई आत्माओं की स्टेज को देखते हुए अनुभव करेंगे - बाप ने इन्हों को क्या बनाया! और फिर पश्चाताप करेंगे। अगर यह झलक नहीं देखते तो क्या समझेंगे? इतना समय ज्ञान तो नहीं लेंगे जो नॉलेज से आपको जानें। तो यह प्रैक्टिकल चेहरे से झलक और फलक दिखाई देगी। बाप के तो महावाक्य ही हैं कि मैं बच्चों के आगे प्रत्यक्ष होता हूँ। लेकिन विश्व के आगे कौन प्रख्यात होंगे? वह साकार में बाप का कर्त्तव्य था, प्रैक्टिकल में बच्चों का कर्त्तव्य है प्रख्यात होने का और बाप का कर्त्तव्य है बैकबोन बनने का, गुप्त रूप में मददगार बनने का। इसलिए ऐसे भी नहीं कि जैसे मात-पिता का गुप्त पार्ट चला वैसे ही अन्त तक गुप्त वातावरण रहेगा। जयजयकार शक्तियों की गाई हुई है और ‘अहो प्रभु’ की पुकार बाप के लिए गाई हुई है। आप लोग आपस में भी एक दो के अनुभव करते होंगे - जब विशेष अटेन्शन अपने निशाने वा नशा का रहता है, तो भले कितने भी बड़े संगठन में बैठे होंगे तो भी सभी को विशेष कुछ दिखाई ज़रूर देगा। महसूस करेंगे कि यह समय याद में बहुत अच्छा बैठे। अभी जो साधारण अटेन्शन है वह बदलकर नेचरल विशेष अटेन्शन हो जायेगा और चेहरे से झलक-फलक दिखाई देगी। सिर्फ स्मृति को शक्तिशाली बनाना है। अच्छा!
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QUIZ QUESTIONS
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प्रश्न 1 :- निशाने पर स्थित होने की निशानी क्या है? स्पष्ट करें।
प्रश्न 2 :- श्रेष्ठ नशा कौन सा है इसपर बापदादा के महावाक्य क्या हैं?
प्रश्न 3 :- बापदादा बच्चों से अन्तिम स्टेज के सम्बन्ध के लिये क्या प्रश्न करते हैं?
प्रश्न 4 :- 'सन शोज फादर' गाया हुआ है। इस सन्दर्भ में बापदादा ने क्या समझानी दी है?
प्रश्न 5 :- जैसे मात-पिता का गुप्त पार्ट चला वैसे ही अन्त तक गुप्त वातावरण रहेगा क्या? स्पष्ट करें।
FILL IN THE BLANKS:-
( सम्पूर्ण, हद, पुकार, स्थित, चैन, लहर, निशाना, नशा, कैसे )
1 एक सेकेण्ड में अपने को अपने ____ निशाने और नशे में ____ कर सकते हो? सम्पूर्ण ____ क्या है, उसको तो जानते हो ना।
2 जैसे कोई ____ का नशा पीते हैं तो उनकी चलन से, उनके नैन- ____ से कोई भी जान लेता है -- इसने ____ पिया हुआ है।
3 ‘अहो प्रभु’ की ____ जो आत्माओं की निकलेगी वा पश्चाताप की ____ जो आत्माओं में आयेगी वह कब, ____ आयेगी?
सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-
1 :- इतना समय ज्ञान तो नहीं लेंगे जो नॉलेज से आपको जानें।
2 :- जिन्होंने साकार में अनुभव ही नहीं किया उन्हों को भी बाप के परिचय से कि हम बाबा के बच्चे हैं, यह कब मानेंगे कि बरोबर बाप आये लेकिन हम लोगों ने कुछ नहीं पाया?
3 :- सम्पूर्ण निशाना क्या है, उसको तो नहीं जानते हो ना।
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QUIZ ANSWERS
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प्रश्न 1 :- निशाने पर स्थित होने की निशानी क्या है? स्पष्ट करें।
उत्तर 1 :- बापदादा कहते हैं :-
❶ निशाने पर स्थित होने की निशानी है नशा।
❷ जब सम्पूर्ण निशाने पर स्थित हो जाते हैं, तो नशा तो रहता ही है।
❸ अगर निशाने पर बुद्धि नहीं टिकती तो नशा भी नहीं रहेगा।
❹ जो स्वयं नशे में रहते हैं वह दूसरों को भी नशे में टिका सकते हैं।
प्रश्न 2 :- श्रेष्ठ नशा कौन सा है इस पर बापदादा के महावाक्य क्या हैं?
उत्तर 2 :- बापदादा कहते हैं :-
❶ यह जो सभी से श्रेष्ठ नशा है, जिसको ईश्वरीय नशा कहा जाता है। इसमें स्थित रहने वाला भी दूर से दिखाई तो देगा। दूर से ही वह अवस्था इतना महसूस करें - यह कोई ईश्वरीय लगन में रहने वाली आत्मायें हैं।
❷ जैसे आप कहां भी आते- जाते हो, तो लोग देखने से ही समझें कि यह कोई प्रभु की प्यारी न्यारी आत्मायें हैं।
❸ भक्ति-मार्ग में भी ऐसी आत्मायें होती हैं। उन्हों के नैन-चैन से प्रभु-प्रेमी देखने आते हैं।
प्रश्न 3 :- बापदादा बच्चों से अन्तिम स्टेज के सम्बन्ध के लिये क्या प्रश्न करते हैं?
उत्तर 3 :- बापदादा बच्चों से पूछते हैं कि
❶ तो ऐसी स्थिति इसी दुनिया में रहते हुए, ऐसी कारोबार में चलते हुए समझते हो कि यह अवस्था रहेगी या सिर्फ लास्ट में दर्शन-मूर्त की यह स्टेज होगी?
❷ क्या समझते हो - क्या अन्त तक साधारण रूप ही रहेगा वा यह झलक चेहरों से दिखाई देगी?
❸ वा सिर्फ लास्ट टाइम जैसे पर्दे के अन्दर तैयार हो फिर पर्दा खुलता है और सीन सामने आकर समाप्त हो जाती है, ऐसे होगा? कुछ समय यह झलक दिखाई देगी।
❹ कई ऐसे समझते हैं कि जब फर्स्ट, सेकेण्ड आत्मायें जो निमित बनीं वही साधारण गुप्त रूप अपना साकार रूप का पार्ट समाप्त कर चले गये तो हम लोगों की झलक फिर क्या दिखाई देगी।
प्रश्न 4 :- 'सन शोज फादर' गाया हुआ है। इस सन्दर्भ में बापदादा ने क्या समझानी दी है?
उत्तर 4 :- बापदादा समझाते हैं कि :-
❶ ‘सन शोज फादर’ गाया हुआ है। तो फादर का शो बच्चे प्रैक्टिकल में लाने से ही करेंगे।
❷ तो यह प्रैक्टिकल रूहानी झलक और फरिश्तेपन की फलक चेहरे से, चलन से दिखाई दे।
❸ अपने को और आप निमित बनी हुई आत्माओं की स्टेज को देखते हुए अनुभव करेंगे - बाप ने इन्हों को क्या बनाया! और फिर पश्चाताप करेंगे।
❹ बाप के तो महावाक्य ही हैं कि मैं बच्चों के आगे प्रत्यक्ष होता हूँ। लेकिन विश्व के आगे कौन प्रख्यात होंगे?
❺ वह साकार में बाप का कर्त्तव्य था, प्रैक्टिकल में बच्चों का कर्त्तव्य है प्रख्यात होने का और बाप का कर्त्तव्य है बैकबोन बनने का, गुप्त रूप में मददगार बनने का।
प्रश्न 5 :- जैसे मात-पिता का गुप्त पार्ट चला वैसे ही अन्त तक गुप्त वातावरण रहेगा क्या? स्पष्ट करें।
उत्तर 5 :- बापदादा कहते हैं कि :-
❶ ऐसे भी नहीं कि जैसे मात-पिता का गुप्त पार्ट चला वैसे ही अन्त तक गुप्त वातावरण रहेगा।
❷ जयजयकार शक्तियों की गाई हुई है और ‘अहो प्रभु’ की पुकार बाप के लिए गाई हुई है।
❸ जब विशेष अटेन्शन अपने निशाने वा नशा का रहता है, तो भल कितने भी बड़े संगठन में बैठे होंगे तो भी सभी को विशेष कुछ दिखाई ज़रूर देगा। महसूस करेंगे कि यह समय याद में बहुत अच्छा बैठे।
❹ अभी जो साधारण अटेन्शन है वह बदलकर नेचरल विशेष अटेन्शन हो जायेगा और चेहरे से झलक-फलक दिखाई देगी। सिर्फ स्मृति को शक्तिशाली बनाना है।
FILL IN THE BLANKS:-
( सम्पूर्ण, हद, पुकार, स्थित, चैन, लहर, निशाना, नशा, कैसे )
1 एक सेकेण्ड में अपने को अपने ____ निशाने और नशे में ____ कर सकते हो? सम्पूर्ण ____ क्या है, उसको तो जानते हो ना।
सम्पूर्ण / स्थित / निशाना
2 जैसे कोई ____ का नशा पीते हैं तो उनकी चलन से, उनके नैन- ____ से कोई भी जान लेता है -- इसने ____ पिया हुआ है।
हद / चैन / नशा
3 ‘अहो प्रभु’ की ____ जो आत्माओं की निकलेगी वा पश्चाताप की ____ जो आत्माओं में आयेगी वह कब, ____ आयेगी?
पुकार / लहर / कैसे
सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:- 【✔】【✖】
1 :- इतना समय ज्ञान तो नहीं लेंगे जो नॉलेज से आपको जानें। 【✔】
2 :- जिन्होंने साकार में अनुभव ही नहीं किया उन्हों को भी बाप के परिचय से कि हम बाबा के बच्चे हैं, यह कब मानेंगे कि बरोबर बाप आये लेकिन हम लोगों ने कुछ नहीं पाया? 【✔】
3 :- सम्पूर्ण निशाना क्या है, उसको तो नहीं जानते हो ना। 【✖】
सम्पूर्ण निशाना क्या है, उसको तो जानते हो ना।