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AVYAKT MURLI
08 / 06 / 71
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08-06-71 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
जीवन के लिए तीन चीजों की आवश्यकता - खुराक, खुशी और खज़ाना
जीवन में मुख्य तीन चीजों की आवश्यकता होती है। वह कौनसी है? चाहे लौकिक जीवन, चाहे अलौकिक जीवन दोनों में तीन चीजों की आव-श्यकता है। वह कौनसी? एक चाहिए खुराक, दूसरा खुशी और तीसरा खज़ाना। यह तीनों बातें आवश्यक हैं। खज़ाने के बिना कुछ नहीं होता, खुशी के बिना भी जीवन नहीं और खुराक भी आवश्यक है। तो यह तीनों चीजें यहाँ भी आवश्यक हैं। खुराक किसको कहेंगे? खुशी तो हुई प्राप्ति की, बाकी खुराक कौनसी है? खज़ाना कौनसा है? खज़ाना है ज्ञान का, खुराक है याद से जो शक्ति भरती है। जीवन की इनर्जा खुराक है। तीनों ही प्राप्तियां हो चुकी हैं वा हो रही हैं? खज़ाना भी पूरा मिल चुका है ना। खुराक भी मिल चुकी है। खुशी तो है ही। अखुट खजाना मिला है ना। अच्छा, उस अखुट खज़ाने को बहुत सहज अगर किसको गिनती करके सुनाओ कि क्या-क्या मिला है, तो किस रीति सुना सकती हो? किसको वर्णन करके सुनाओ तो ऐसे सुनाओ जिससे सहज रीति सारा खजाना आ जाये। सागर को गागर में समाकर दिखाओ। खज़ाने का वर्णन ज़रूर ‘एक, दो, तीन.......’ ऐसे गिनती कर सुनायेंगे ना कि इतना खजाना हमारे पास है। यहाँ भी ‘एक, दो, तीन, चार, पाँच......... के अन्दर ही सारा खज़ाना गिनती कर सुना सकती हो। ‘एक’ में इकट्ठी बातें आ जाती हैं। एक बाप है, एक ही ज्ञान है। ऐसे ‘एक’ का ही वर्णन करो तो कितनी प्वाइन्ट्स आ जायेंगी। ‘दो’ का वर्णन करो तो दो में भी कितनी प्वाइन्ट्स हैं। तीन को वर्णन करो तो भी कितनी प्वाइन्ट्स हैं। तो एक, दो, तीन, चार, पाँच - इसमें ही सारा ज्ञान वर्णन कर सकती हो। जैसे खज़ाने को अंगुलियों पर गिनती करते हैं ना। ऐसे आप भी ज्ञान खज़ाने को इन 5 गिनती में वर्णन कर सुना सकती हो। यह क्लास कराना। फिर देखना, 5 के अन्दर सारी प्वाइन्ट्स आ जाती हैं। ऐसे-ऐसे मंथन करना चाहिए, जिससे सहज भी हो जाये और वही ज्ञान रमणीक भी बन जाये। 5 में सारा ज्ञान वर्णन कर सुनाओ। खज़ाने को भी वर्णन करके सुनाने के लिए सहज तरीका यह है। छोटे बच्चे को भी एक, दो, तीन.... ऐसे सिखाते हैं ना। तो इन पाँच में ही सारे खज़ाने का वर्णन हो। और जितना बार खज़ाने को वर्णन करते हैं वा मनन में लाते हैं इतनी खुशी ज़रूर होती है। और खजाने को मनन करने से मग्न अवस्था आटोमेटीकली होती है। खुशी भी मिल जाती है, खुराक भी मिलती है और खज़ाने की स्मृति भी आ जाती है। तीनों ही बातें स्मृति में हैं। इस जीवन को श्रेष्ठ जीवन कहा जाता है। याद की यात्रा में रहने से कोई करामात आती है? (शक्तियों की प्राप्ति होती है) शक्तियों की प्राप्ति को करामात कहें? जैसे वह लोग कई अभ्यास करते हैं तो उनमें रिद्धि-सिद्धि की करामात आती है। इस प्राप्ति को करामात कहें? जिस शक्ति के आधार से आप कर्त्तव्य करती हो उसको करामात कहें? (करामात नहीं कहेंगे) करामात समझकर प्रयोग नहीं करते हो लेकिन कर्त्तव्य समझ कर शक्ति का प्रयोग करते हो। कर्त्तव्य करने का तो फर्ज है। इस कारण स्वीकार नहीं होता है। यहाँ करामात की बात नहीं। इसको श्रीमत का प्रैक्टिकल कर्त्तव्य समझकर चलते हो। उन मनुष्यों के पास करामात होती है। आप लोगों की बुद्धि में आयेगी श्रीमत। तो श्रीमत और करामात में फर्क है। आप लोगों को शक्तियां प्राप्त होंगी तो स्मृति में आयेगा - श्रीमत द्वारा अथवा इस मत की यह गति प्राप्त हुई। करामात नहीं लेकिन श्रीमत समझेंगे। करामात समझ शक्तियों का प्रयोग नहीं करेंगे, कर्त्तव्य समझ शक्तियों का प्रयोग करेंगे। शक्तियां आनी ज़रूर हैं। मुख से बोलने की भी ज़रूरत नहीं, संकल्प से कर्त्तव्य सिद्ध कर देंगे। जैसे मुख द्वारा कर्त्तव्य सिद्ध करने के अभ्यास में भी पहले आप लोगों को ज्यादा बोलना पड़ता था तब सिद्धि मिलती थी। अभी कम बोलने से भी कर्त्तव्य होता है। तो जैसे यह अन्तर्यामी वैसे फिर यह प्रैक्टिस हो जायेगी। आपका संकल्प कर्त्तव्य को पूरा करेगा। संकल्प से किसको बुला सकेंगे, किसको संकल्प से कार्य की प्रेरणा देंगे। यह भी शक्तियां है लेकिन उनको कर्त्तव्य समझ प्रयोग करना है।
यह प्राप्ति श्रीमत से हुई। यह जैसे बटन दबाने से सारा नज़ारा टेलीविजन में आता है, वैसे ही आप संकल्प यहाँ करेंगे, वहाँ उसकी बुद्धि में क्लियर चित्र खिंच जायेगा। ऐसे कनेक्शन चलेगा। यह सभी शक्तियों की प्राप्ति होगी। इस प्राप्ति के लिए जब तक बुद्धि में और सभी बातें समाप्त हों और सिर्फ श्रीमत की आज्ञा जो मिली हुई है वही चलती रहे। और कुछ भी मिक्स न हो। व्यर्थ संकल्प श्रीमत नहीं है, यह अपनी मनमत है। तो जब ऐसी बुद्धि हो जाये जिसमें सिवाय श्रीमत के कुछ भी मिक्स न हो, तब शक्तियां आयेंगी। नज़दीक आ रही हो। गायन शक्तियों का ज्यादा है। कर्त्तव्य के सम्बन्ध में शक्तियों का गायन ज्यादा है। क्योंकि साकार में अन्तिम कर्त्तव्य की समाप्ति शक्तियों द्वारा है। इसलिए कर्त्तव्य की स्मृति वा यादगार भी शक्तियों का ज्यादा है। दिन- प्रतिदिन भविष्य में देवताओं के स्वरूप का पूजन वा यादगार कम होता जायेगा, शक्तियों का पूजन गायन बढ़ता जायेगा। गायन होते-होते ही प्रत्यक्ष हो जायेंगे। अच्छा।
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QUIZ QUESTIONS
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प्रश्न 1 :- शक्तियों के गायन के संदर्भ में अव्यक्त बापदादा के महावाक्य क्या हैं?
प्रश्न 2 :- जीवन में मुख्य किन तीन चीजों की आवश्यकता है? ज्ञान मार्ग में ये 3 चीजें किसको कहेंगे?
प्रश्न 3 :- खजाने का वर्णन करने से क्या प्राप्तियाँ होती हैं?
प्रश्न 4 :- शक्तियों की प्राप्ति कब हो सकती है?
प्रश्न 5 :- अखुट खजाने का वर्णन करने की कौन सी युक्ति बापदादा ने बताई है?
FILL IN THE BLANKS:-
( प्रेरणा, स्मृति, प्राप्ति, संकल्प, श्रीमत, शक्तियां, कार्य, बुद्धि, बटन, यात्रा, याद, कर्तव्य, क्लियर, करामात, प्रयोग )
1 आप लोगों को ______ प्राप्त होगी तो ______ में आएगा - श्रीमत द्वारा अथवा इस मत की यह गति प्राप्त हुई। करामात नहीं लेकिन श्रीमत समझेंगे। करामात समझ शक्तियों का ______ नहीं करेंगे कर्तव्य समझ शक्तियों का प्रयोग करेंगे।
2 उन मनुष्यो के पास ______ होती है। आप लोगों की ______ में आएगी श्रीमत। तो ______ और करामात में फर्क है।
3 जैसे ______ दबाने से सारा नजारा टेलीविजन में आता है वैसे आप ______ यहां करेंगे, वहां उसकी बुद्धि में ______ चित्र खिंच जाएगा। ऐसे कनेक्शन चलेगा।
4 ______ की ______ में रहने से कोई करामात आती है? (शक्तियों की प्राप्ति होती है।) शक्तियों की ______ को करामात कहें?
5 आपका संकल्प ______ को पूरा करेगा। संकल्प से किसको बुला सकेंगे, किसको संकल्प से ______ की ______ देंगे। यह भी शक्तियां है लेकिन उनको कर्तव्य समझ प्रयोग करना है। यह प्राप्ति श्रीमत से हुई।
सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-
1 :- एक में इकट्ठी बातें आ जाती हैं। एक बाप है, एक ही ज्ञान है।
2 :- मुख से बोलने की भी जरूरत नहीं। करामात से कर्तव्य सिद्ध कर देंगे।
3 :- दिन- प्रतिदिन भविष्य में देवताओं के स्वरूप का पूजन वा यादगार कम होता जायेगा, शक्तियों का पूजन गायन बढ़ता जायेगा।
4 :- यहाँ करामात की बात नहीं। इसको श्रीमत का प्रैक्टिकल कर्तव्य समझकर चलते हो।
5 :- जैसे मुख द्वारा कर्त्तव्य सिद्ध करने के अभ्यास में भी पहले आप लोगों को ज्यादा बोलना पड़ता था तब सिद्धि मिलती थी। अभी कम बोलने से भी कर्त्तव्य होता है।
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QUIZ ANSWERS
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प्रश्न 1 :- शक्तियों के गायन के संदर्भ में अव्यक्त बापदादा के महावाक्य क्या हैं?
उत्तर 1 :- शक्तियों के गायन के संदर्भ में अव्यक्त बापदादा के महावाक्य हैं:-
..❶ गायन शक्तियों का ज्यादा है। कर्तव्य के संबंध में शक्तियों का गायन ज्यादा है।
..❷ क्योंकि साकार में अंतिम कर्तव्य की समाप्ति शक्तियों द्वारा है। इसलिए कर्तव्य की स्मृति वा यादगार भी शक्तियों का ज्यादा है।
..❸ दिन प्रतिदिन भविष्य में देवताओं के स्वरुप का पूजन वा यादगार कम होता जाएगा, शक्तियों का पूजन गायन बढ़ता जाएगा।
..❹ गायन होते होते ही प्रत्यक्ष हो जायेंगे।
प्रश्न 2 :- जीवन में मुख्य किन तीन चीजों को आवश्यकता है? ज्ञान मार्ग में ये 3 चीजें किसको कहेंगे?
उत्तर 2 :- बापदादा कहते हैं कि
..❶ चाहे लौकिक जीवन, चाहे अलौकिक जीवन-दोनों में तीन चीजों की आवश्यकता है।
..❷ एक चाहिए खुराक, दूसरा खुशी और तीसरा खजाना। यह तीनों बातें आवश्यक है।
..❸ खजाने के बिना कुछ नहीं होता, खुशी के बिना भी जीवन नहीं और खुराक भी आवश्यक है।
..❹ यह तीनों चीजें ज्ञान मार्ग में भी आवश्यक है। खुशी हुई प्राप्ति की, खजाना है ज्ञान का, खुराक है याद से जो शक्ति भरती है। जीवन की एनर्जी खुराक है।
प्रश्न 3 :- खजाने का वर्णन करने से क्या प्राप्तियाँ होती हैं?
उत्तर 3 :- अव्यक्त बापदादा कहते हैं कि :-
..❶ जितनी बार खजाने का वर्णन करते हैं वा मनन में लाते हैं इतनी खुशी जरूर होती है।
..❷ खजाने को मनन करने से मगन अवस्था ऑटोमेटिकली होती है।
..❸ खुशी भी मिल जाती है, खुराक भी मिलती है और खजाने की स्मृति भी आ जाती है।
प्रश्न 4 :- शक्तियों की प्राप्ति कब हो सकती है?
उत्तर 4 :- अव्यक्त बापदादा कहते हैं कि :-
..❶ शक्तियों की प्राप्ति के लिए बुद्धि में और सभी बातें समाप्त हो।
..❷ सिर्फ श्रीमत की जो आज्ञा मिली हुई है वही चलती रहे। और कुछ भी मिक्स ना हो।
..❸ व्यर्थ संकल्प श्रीमत नहीं है, यह अपनी मनमत है। जब ऐसी बुद्धि हो जाए जिसमें सिवाय श्रीमत के कुछ भी मिक्स ना हो, तब शक्तियां आयेंगी।
प्रश्न 5 :- अखुट खजाने का वर्णन करने की कौनसी युक्ति बापदादा ने बताई है?
उत्तर 5 :- अव्यक्त बापदादा ने बताया है कि :-
..❶ अखुट खजाने को सहज रीति वर्णन कर सुनाओ कि क्या क्या मिला है?
..❷ किसको वर्णन करके सुनाओ तो ऐसे सुनाओ जिससे सहज रीति सारा खजाना आ जाये।
..❸ सागर को गागर में समाकर दिखाओ।
..❹ खजाने का वर्णन जरूर 'एक, दो, तीन......' ऐसे गिनती कर सुनाएंगे ना कि इतना खजाना हमारे पास है। यहां भी 'एक, दो, तीन, चार, पाँच......' के अंदर ही सारा खजाना गिनती कर सुना सकते हो।
..❺ जैसे खजाने को अंगुलियों पर गिनती करते हैं ना। ऐसे आप भी ज्ञान खजाने को इन पांच गिनती में वर्णन कर सुना सकते हो।
..❻ पांच में सारा ज्ञान वर्णन कर सुनाओ। खजाने का वर्णन करके सुनाने के लिए यह सहज तरीका है।
..❼ छोटे बच्चे को भी एक, दो, तीन...... ऐसे सिखाते है ना। तो इन पाँच में ही सारे खजाने का वर्णन हो।
FILL IN THE BLANKS:-
( प्रेरणा, स्मृति, प्राप्ति, संकल्प, श्रीमत, शक्तियां, कार्य, बुद्धि, बटन, यात्रा, याद, कर्तव्य, क्लियर, करामात, प्रयोग )
1 आप लोगों को ______ प्राप्त होगी तो ______ में आएगा - श्रीमत द्वारा अथवा इस मत की यह गति प्राप्त हुई। करामात नहीं लेकिन श्रीमत समझेंगे। करामात समझ शक्तियों का ______ नहीं करेंगे कर्तव्य समझ शक्तियों का प्रयोग करेंगे।
.. शक्तियां / स्मृति / प्रयोग
2 उन मनुष्यो के पास ______ होती है। आप लोगों की ______ में आएगी श्रीमत। तो ______ और करामात में फर्क है।
.. करामात / बुद्धि / श्रीमत
3 जैसे ______ दबाने से सारा नजारा टेलीविजन में आता है वैसे आप _______ यहां करेंगे, वहां उसकी बुद्धि में ______ चित्र खिंच जाएगा। ऐसे कनेक्शन चलेगा।
.. बटन / संकल्प / क्लियर
4 ______ की ______ में रहने से कोई करामात आती है? (शक्तियों की प्राप्ति होती है।) शक्तियों की ______ को करामात कहें?
.. याद / यात्रा / प्राप्ति
5 आपका संकल्प ______ को पूरा करेगा। संकल्प से किसको बुला सकेंगे, किसको संकल्प से ______ की ______ देंगे। यह भी शक्तियां है लेकिन उनको कर्तव्य समझ प्रयोग करना है। यह प्राप्ति श्रीमत से हुई।
.. कर्तव्य / कार्य / प्रेरणा
सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-【✔️】【✖️】
1 :- एक में इकट्ठी बातें आ जाती हैं। एक बाप है, एक ही ज्ञान है।【✔️】
2 :- मुख से बोलने की भी जरूरत नहीं। करामात से कर्तव्य सिद्ध कर देंगे।【✖️】
.. मुख से बोलने की भी जरूरत नहीं। संकल्प से कर्तव्य सिद्ध कर देंगे।
3 :- दिन- प्रतिदिन भविष्य में देवताओं के स्वरूप का पूजन वा यादगार कम होता जायेगा, शक्तियों का पूजन गायन बढ़ता जायेगा।【✔️】
4 :- यहाँ करामात की बात नहीं। इसको श्रीमत का प्रैक्टिकल कर्तव्य समझकर चलते हो।【✔️】
5 :- जैसे मुख द्वारा कर्त्तव्य सिद्ध करने के अभ्यास में भी पहले आप लोगों को कम बोलना पड़ता था तब सिद्धि मिलती थी। अभी अधिक बोलने से भी कर्त्तव्य होता है। 【✖️】
.. जैसे मुख द्वारा कर्त्तव्य सिद्ध करने के अभ्यास में भी पहले आप लोगों को ज्यादा बोलना पड़ता था तब सिद्धि मिलती थी। अभी कम बोलने से भी कर्त्तव्य होता है।