19-07-69
ओम शान्ति अव्यक्त
बापदादा मधुबन
“ज़ीरो
और हीरो बनो”
आज
किसलिये
बुलाया है? (बल
भरने लिये),
बल भरने के
लिये बुलाया
है तो किस बात
की निर्बलता
समझती हो? विशेष
किस बात में
बल भरना है?
सर्विस में
भी बल किससे
भरेगा? वह
तो अपने में
कितना बल भरा
है वह सिर्फ
देखना है। आप
सभी का नाम ही
है शिव शक्ति।
तो शक्तियों
में शक्ति तो
है ही वा
शक्ति स्वरूप
बन रही हो? बापदादा
तो आये ही हैं
देखने कि कौन
सा जेवर
बापदादा के
सृष्टि के
श्रृंगार
करने लिये
तैयार हुये
हैं। अभी जेवर
तो तैयार हो
गये। लेकिन
तैयार होने
वाला क्या
होता है? पालिश।
अभी सिर्फ
पालिश होनी है।
मुख्य बात
जिसकी पालिश
होनी है वह
यही है, सभी
को ज्यादा से
ज्यादा अव्यक्त
स्थिति में
रहने का विशेष
समय देना है।
अव्यक्त
स्थिति की
पालिश ही बाकी
रही है। आपस
में बातचीत
करते समय
आत्मा रूप में
देखो। शरीर
में होते हुए
भी आत्मा को
देखो। यह पहला
पाठ है इसकी
ही आवश्यकता
है। जो भी सभी
धारणायें
सुनी है उन
सभी को जीवन
में लाने लिये
यही पहला पाठ
पक्का करना
पड़ेगा। यह
आत्मिक
दृष्टि की
अवस्था
प्रैक्टिकल
में कम रहती
है। सर्विस की
सफलता ज्यादा
निकले, उसका
भी मुख्य साधन
यह है कि
आत्म-स्थिति
में रह सर्विस
करनी है। पहला
पाठ ही पालिश
है। इसकी ही
आवश्यकता है।
कब नोट किया
है सारे दिन
में यह आत्मिक
दृष्टि, स्मृति
कितनी रहती है?
इस स्थिति
की परख अपनी
सर्विस की
रिजल्ट से भी
देख सकते हो।
यह अवस्था शमा
है। शमाँ पर
परवाने न
चाहते हुए भी
जाते हैं।
आप सभी
टीचर तो हो ही।
बाकी टीचर से
क्या बनने
लिये भट्टी
में आये हो? आप
लोग बहुत
सोचते हो।
परन्तु है
बहुत सहज।
अपने समान
बनाने लिये
बुलाया है।
अपने समान
अर्थात् जीरो
बनाने। जीरो
में बीज वा
बिन्दी भी आ
जाती है। और
फिर साथ-साथ
कोई ऐसा कार्य
हो जाता है तो
उनको भी जीरो
बनाना है। तो
खास जीरो याद
करने लिये
बुलाया है।
टीचर का रूप
तो बहुत बड़ा
है लेकिन बहुत
बड़ा फिर बहुत
छोटा बनाने
आया हूँ। सभी
से छोटा रूप
है बाप का। और
आप सभी का भी।
तो अब जीरो को
याद रखेंगे तो
हीरो बनेंगे।
हीरो एक्टर भी
होता है और
बापदादा का
प्रिय भी है।
रत्न को भी
हीरा कहा जाता
है। और मुख्य
एक्टर को भी
हीरो कहा जाता
है। तो अब
समझा किसलिए
बुलाया है? सिर्फ दो
अक्षर याद
करने लिए
बुलाया है -
जीरो और हीरो।
यह दो बातें
याद रखेंगे तो
बाप के समान
सर्व गुणों से
सम्पन्न हो
जायेंगे।
विस्तार को
समाया जाता है
ना। 15 दिन इतनी
स्टडी की है,
बहुत
कापियाँ भरी
हैं। बापदादा
फिर आपके
विस्तार को
बीज में सुना
रहे हैं। और
सभी भूल भी
जाये। यह तो
नहीं भूलेगा।
यह याद रखो
फिर देखना
सर्विस में
कितनी जल्दी
चेंज आती है।
आप सभी की
इच्छा यही है
कि हम भी बदले
और समय भी बदले।
अपने घर चले।
जब घर चलने की
इच्छा है तो
फिर यह दो बात
याद रखो। फिर
कमियों के
बजाय कमाल कर
दिखाओ।
कमियाँ खत्म
हो जावेंगी और
जहाँ भी
देखेंगे, सुनेंगे
तो कमाल ही
कमाल देखेंगे
तो अब इस भट्टी
से क्या बनकर
जायेंगे? जीरो।
जीरो में कोई
बात ही नहीं
होती। कोई
पिछले
संस्कार नहीं।
यहाँ छोड़ने भी
आये हो। तो
फिर अच्छी तरह
से जो कुछ
छोड़ना था। वह
छोड़ चले हो वा
थोड़ा साथ में
भी ले जायेंगे?
क्या छोड़ा
है और कितने
तक छोड़ा है।
थोड़े समय के
लिये छोड़ा है
वा सदा के
लिये छोड़ा है,
यह भी देखना
है। संगठन की
शक्ति में छोड़
दिया है वा
स्वयं की शक्ति
से छोड़ा है?
संगठन की
शक्ति सहारा
तो देती है
लेकिन संगठन की
शक्ति के साथ
स्वयं की भी
शक्ति चाहिए।
जब भी जो छोड़ा
है वह सदा काल
के लिये।
बापदादा
को आप सभी
प्रिय तो हो
ही। क्योंकि
बाप भी तुम
बच्चों की मदद
से कार्य करा
रहे हैं। तो
कार्य में
मददगार होने
वाले प्रिय तो
रहते ही हैं।
लेकिन मददगार
के साथ
हिम्मवान
कहाँ कम बनते
हैं। यहाँ
हिम्मत छोड़
देते हैं। अगर
हिम्मत हो तो
मदद जरूर
मिलेगी। तो
इसलिए मददगार
के साथ कुछ
हिम्मतवान भी
बनो।
छोटी-छोटी
बातों में
हिम्मतहीन
नहीं बनना है।
हिम्म- तवान
बनने से फिर
आप सभी की जो
इच्छा है, वह
पूर्ण होगी।
अभी हिम्मत की
आवश्यकता है।
हिम्मत कैसे
आयेगी? हर
समय, हर
कदम पर,
हर
संकल्प में
बलिहार होने
से। जो बलिहार
होता है उसमें
हिम्मत
ज्यादा होती है
तो
जितना-जितना
अपने को
बलिहार
बनायेंगे उतना
ही गले के हार
में नजदीक
आयेंगे। अभी
बलिहार होंगे
फिर बनेंगे
प्रभु के गले
का हार। अगर
बलिहार बनकर
के ही कर्म
करेंगे तो
दूसरों को भी
बलिहार
बनायेंगे।
जिसको वारिस
कहा जाता है।
अभी प्रजा
बहुत बनती हैं।
वारिस कम बनते
है। जितना
बहुत
बनायेंगे
उतना ही नजदीक
आयेंगे। तो अब
वारिस बनाने
का प्लान सोचो।
अच्छा !!!